लॉक डाउन में बच्चों का तनाव दूर कर रहीं है अंगबाड़ी सेविका

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  • ईसीसीई गतिविधियों के माध्यम से कर रहीं जागरूक
  • बच्चों के मस्तिष्क में चल रहे भय को जाने

सिवान: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए देश में लॉक डाउन लागू किया गया है। ऐसे समय में स्कूल आंगनबाड़ी सेंटर भी बंद कर दिए गए हैं। बच्चे करीब 2 माह से अपने घर पर ही हैं। बच्चों को तनाव से दूर रखने के लिए आईसीडीएस विभाग की ओर से एक अच्छी पहल की शुरुआत की गई है। बच्चों को तनाव से दूर रखने के लिए आंगनबाड़ी सेविका एवं महिला पर्यवेक्षिकाओं के द्वारा जागरूक किया जा रहा है। कोविड-19 के कारण दैनिक दिनचर्या में अचानक से व्यवधान आया है एवं सामान्य जीवन शैली की वापसी को लेकर अनिश्चितता बनी हुयी है। ऐसे प्रतिकूल माहौल में लोगों के मन में भय एवं तनाव का आना स्वाभाविक है. इसके कारण बच्चों एवं किशोरों को भी मानसिक तनाव का सामना करना पड़ रहा है। इन हालातों के मद्देनजर आईसीडीएस भी महामारी के दौरान बच्चों एवं किशोरों की विशेष देखभाल कर रही है.

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ईसीसीई गतिविधियों के माध्यम से कर रही तनाव दूर

सिवान सदर प्रखंड के रघुहटा आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 13 के सेविका तनुजा कुमारी ने बताया बच्चों व किशोरों में फैले तनाव को ईसीसीई ( अर्ली चाइल्ड केयर एन्ड एजुकेशन) गतिविधियों के माध्यम से दूर किया जा रहा है. बच्चों को सकारात्मक संदेशों को बताया जा रहा है तथा बच्चों के साथ रोचक खेल भी खेला जा रहा है ताकि बच्चों में तनाव की स्थिति पैदा ना हो सके।

माता-पिता को भी किया जा रहा है जागरूक

आईसीडीएस के डीपीओ नीतू सिंह ने बताया कोरोना संकटकाल में बच्चों द्वारा माता-पिता के ध्यान की अतिरिक्त अपेक्षा एवं अपनी चिंता, भय एवं प्रश्न के संबंध में जानने की इच्छा हो सकती है। इसलिए यह जरुरी है कि बच्चे आशवस्त हो सकें कि कोई उनकी बात सुनने वाला है। इस बात का माता-पिता को विशेष ध्यान रखने की जरूरत है कि वे अपने बच्चे एवं किशोर से नियमित तौर पर बात करें एवं उनके प्रश्नों का जवाब भी दें। माता-पिता कोशिश करें कि जानकारी इस प्रकार से दी की जाए कि बच्चे उसे आसानी से समझ सकें। रोचक रूप से वास्तविक जानकारी विस्तार से बच्चों को समझाना चाहिए। साथ ही बच्चों को यह जरुर एहसास दिलाएं कि वे सुरक्षित हैं। इससे बच्चे के दिमाग में चल रहे तनाव में कमी आएगी।

भ्रामक जानकारी से बच्चे को दूर रखें

आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा बच्चों के माता-पिता को यह जानकारी दी जा रही है कि यह संभव है कि बच्चे सोशल मीडिया में फैलाई जा रही जानकारी से डरने लगें। इसलिए यह ध्यान रखें कि बच्चे समाचार या सोशल मीडिया की जगह रोचक कहानी या सीरियल ही देखें। ऐसी परिस्थिति में बच्चे के मन में कोरोना संक्रमितों को लेकर किसी समुदाय विशेष या व्यक्ति के प्रति नफरत की भावना आ सकती है। इसलिए उन्हें समझाएं कि इसके लिए कोई समुदाय विशेष या व्यक्ति ज़िम्मेदार नहीं है। साथ ही बच्चे को यह जरुर समझाएं कि ऐसे वक़्त में तनाव होना एक सामान्य प्रक्रिया है।

बच्चों एवं किशोरों में तनाव को पहचाने

  • छोटे बच्चों का अधिक रोना या चिढ़ना
  • बच्चों का विस्तर पर ही मल-मूत्र का त्याग करने लगाना
  • अत्यधिक चिंता एवं उदासी
  • किशोरों में चिडचिडापन का बढ़ जाना
  • जिन गतिविधियों में बच्चों का मन लगता था उससे दूर भागना
  • किशोरों द्वारा शराब, तम्बाकू या अन्य दवाओं का सेवन करने लगना
  • बच्चों एवं किशोरों में अस्पष्ट सिरदर्द या शरीर में दर्द होना