छपरा: गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ के मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग के द्वारा कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम चलाये जा रहे हैँ। इसमें सबसे महत्वूपर्ण कार्यक्रम है प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान। जिसके प्रत्येक माह के 9 तारिख को विशेष कैंप लगाकर गर्भवती महिलाओं के प्रसव पूर्व की जांच की जाती है। शुक्रवार को जिले के सदर अस्पताल समेत सभी स्वास्थ्य संस्थानों पर विशेष कैंप लगाकर गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की जांच की गयी। कोविड-19 से बचाव के लिए जारी मानकों का पालन करते हुए कैंप का आयोजन किया गया। गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की जांच की गई। इस दौरान महिलाओं के खून, पैशाब, एचआईवी, ब्लड ग्रुप की जांच की गयी। सभी गर्भवती महिलाओं की काउंसिलिंग करके गर्भावस्था के दौरान जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य की देखभाल के बारे में जानकारी दी। प्रसव के बाद परिवार कल्याण के तरीके के बारे में भी बताया गया। सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा ने बताया कि इस अभियान के तहत प्रत्येक महीने की 9 तारीख को सभी गर्भवती माताओं का महिला चिकित्सा अधिकारी द्वारा चैकअप करके माता में होने वाले खतरों के लक्षणों की पहचान की जाती है और समय पर इन खतरों की पहचान करके बहुत सी जटिलताओं को कम किया जा रहा है।
प्रसव पूर्व जांच से प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताओं में कमी लाने का प्रयास
सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा ने बताया कि प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान कार्यक्रम का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण प्रसव पूर्व जांच की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ उन्हें बेहतर परामर्श देना है। गर्भावस्था के दौरान प्रसव पूर्व जांच प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताओं में कमी लाता है। संपूर्ण प्रसव पूर्व जांच के अभाव में उच्च जोखिम गर्भधारण की पहचान नहीं हो पाती। इससे प्रसव के दौरान जटिलता की संभावना बढ़ जाती है। उन्होंने बताया इस अभियान की सहायता से प्रसव के पहले ही संभावित जटिलता का पता चल जाता है। जिससे प्रसव के दौरान होने वाली जटिलता में काफी कमी भी आती है और इससे होने वाली मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में भी कमी आती है।
कुपोषण से पीड़ित महिलाओं पर विशेष जोर
जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीसी सह नोडल पाधिकारी रमेश चंद्र कुमार ने बताया कि प्रसव पूर्व जांच में एनीमिक महिला को आयरन फोलिक एसिड की दवा देकर इसका नियमित सेवन करने की सलाह दी गई। एनीमिक महिलाओं को हरी साग-सब्जी, दूध, सोयाबीन, फल, भूना हुआ चना एवं गुड खाने की सलाह दी गयी। साथ ही उन्हें गर्भावस्था के आखिरी दिनों में कम से कम चार बार खाना खाने की भी सलाह दी गयी। बेहतर पोषण गर्भवती महिलाओं में खून की कमी को होने से बचाता है।
ये जांच कराना जरूरी
कोविड 19 के दौर में रखें इसका भी ख्याल
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