असांव  के कांधपाकड़: रक्षाबंधन का दिन दे गया कभी नहीं भूलने वाला गम

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एक साथ घर के पांच बच्चों की मौत पर रो पड़ा पूरा गांव

✍️ परवेज अख्तर/एडिटर इन चीफ:
असांव थाना क्षेत्र के कांधपाकड़ गांव में शुक्रवार को एक साथ पांच चचेरे भाइयों की नदी में डूबने से हुई मौत के बाद गांव में बड़ा ही मार्मिक दृश्य हो गया. युवकों की मौत ऐसी की गांव का हर कोई शवों को देख रो पड़ा. कुछ देर पहले जो युवक अपना सारा काम सही ढ़ंग से निपटा रहे थे, वे अब चिरनिंद्रा में सोए हुए थे. युवकों के परदादी की गुरुवार को मौत हो गई थी. मृत बच्चों के दादा अशर्फी साह एक तरफ सदमे में बैठे थे. उनका कहना था कि मां की मौत के बाद परिवार के साथ जो दर्दनाक घटना हुई उसे कभी नहीं भुलाया जा सकता है. अशर्फी साह के पांच पोतों की नदी में डूबने से हुई मौत के बाद हर तरफ केवल चीत्कार ही सुनाई दे रही थी. घटना के बाबत परिवार वालों से कुछ भी पूछने में लोग अपने को असहज महसूस कर रहे थे. अशर्फी साह के तीन बेटों जयचंद्र साह, श्रीराम साह व बलिराम साह के परिवार पर तो दुखों का पहाड़ ही टूट पड़ा है. जयचंद्र साह के एक, श्रीराम साह के तीन व बलिराम साह के एक बेटे की घटना में हुई मौत के बाद परिवार वालों को कुछ भी नहीं सूझ रहा.

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रक्षाबंधन का दिन दे गया कभी नहीं भूलने वाला गम

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अशर्फी साह के घर में महिला की हुई मौत के बाद पहले से ही रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाया जा रहा था. वहीं शुक्रवार को हुए हादसे के बाद लोग चर्चा कर रहे थे कि रक्षाबंधन के दिन हुई घटना ने परिवार वालों को कभी भी नहीं भूलने वाला गम दे डाला. अशर्फी साह समेत घर के अन्य पुरूष सदस्य भी घटना के बाद अपने को कोस रहे हैं. उनका कहना है कि घर के एक-एक कर पांच बच्चों की मौत हो गई और वे कुछ भी नहीं कर सके. हालांकि नदी के जलस्तर में हुई वृद्धि व धारा तेज होने के कारण कुशल तैराक ही नदी में उतरने की जहमत उठा सकता है. अन्य लोगों के लिए नदी की तेज धारा के बीच उतरना सीधे मौत को दावत देने के समान है. यही हाल मृत हुए बच्चों के साथ भी हुआ. पांचों युवकों में रितेश की शादी हो गई थी. शेष चार अभी अविवाहित थे व पढ़ाई कर रहे थे. घटना के बाद रितेश की विधवा हुई पत्नी अंजू देवी की आंखों से लगातार आंसू बह रहे हैं व साथ ही वह घटना को याद कर बार-बार बेसुध भी हो जा रही थी. अशर्फी साह के घर में वाहन से जुड़ा व्यवसाय था. बसों व पिकअप वैन से जुड़ा काम रितेश ही देखता था. रितेश को भाग्यशाली मानते हुए वाहनों पर उसी के नाम भी लिखे जाते थे.

परिवार की महिलाओं के विलाप से गांव के हर लोग के आंसू छलके

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एक ही परिवार के पांच पुत्रों की मौत की कानपाकड़ घटना के बाद परिवार की महिलाओं की चीख पुकार से पूरे गांव में कोहराम मच गया और गांव के हर व्यक्ति के आंसू छलक आये. घटना में अपने तीन बेटों के खोने के बाद मीना देवी का होश ही नहीं रहा और बार-बार बेहोसी में चली जा रही थी. रितेश की मां के श्रीदेवी और पत्नी अंजू देवी तथा विकास की मां कुसुम देवी की चीख पुकार को शांत कराने में लगी महिलाये भी खुद रोने लगती थी.

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घटना के बाद पूरे गांव में मातम जैसा माहौल है. इस हृदय विदारक घटना को ले कांधपाकड़ गांव में किसी का भी चुल्हा नहीं जला है और सभी लोग इस घटना से मर्माहत है. कांधपाकड़ गांव के लिए शुक्रवार का दिन काला दिन साबित हुआ. शुक्रवार को लोगों की जैसे ही नींद खुली और रक्षाबंधन की तैयारी में लगे कि यह मनहूस घटना ने सबको मर्माहत कर दिया. जिसने भी यह खबर सुनी बदहवास झरही नदी की ओर चल दिया और झरही नदी के किनारे पांच शवों को देखकर सभी के होश उड़ गये. किसी को समझ में नहीं आ रहा था कि क्या किया जाय.