परवेज अख्तर/सिवान: जिला मुख्यालय समेत ग्रामीण इलाकों में मंगलवार को होने वाली बसंत पंचमी एवं सरस्वती पूजा की तैयारी अंतिम चरण में है। कोरोना संक्रमण काल को ध्यान में रखते हुए गाइडलाइन का पालन करते हुए पूजा मनाने की पहल की जा रही है। मां सरस्वती की पूजा को लेकर श्रद्धालु सोमवार को सामान की खरीदारी समेत पूजा पंडाल तथा मां सरस्वती की प्रतिमा की सजावट में पूरी रात जुटे रहे। इसको लेकर विशेषकर सरकारी एवं गैर-सरकारी शिक्षण संस्थानों में काफी उत्साह देखने को मिला। पूजन सामग्री की खरीदारी को लेकर बाजारों में काफी चहल-पहल देखी गई। बच्चे पंडाल तथा प्रतिमा सजावट के लिए बाजारों में फूलपत्ती, मुकुट, वीणा आदि की खरीदारी करने पहुंचे थे, इस कारण बाजारों में भीड़ देखी गई। इसके अलावा बाजारों में पूजा सामग्री यथा फल, राशन आदि दुकानों पर सुबह से देर शाम तक लोगों की भीड़ देखने को मिली। वहीं बच्चे मूर्तिकारों के यहां से मां की प्रतिमाओं को विभिन्न साधनों से ले जाते देखे गए।
इसलिए होती है मां सरस्वती की पूजा :
आंदर के पड़ेजी निवासी आचार्य पंडित उमाशंकर पांडेय ने बताया कि भगवती सरस्वती की उत्पत्ति माघ शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को होने से हम सब भगवती सरस्वती के पूजन करते हैं। इस दिन से बसंत ऋतु का आगमन भी माना जाता है, जिस कारण नाम बसंत पंचमी भी कहा जाता है। मां का स्वरूप देखने में दूध की तरह श्वेत है, मां की सवारी हंस है, मां मयूर पर भी आरुढ़ होती हैं। मां के एक हाथ में अक्षय माला एवं दंडपाश एक हाथ में पुस्तक, एक हाथ में वीणा एवं एक हाथ में अभय देने वाली वरद हाथ है। मां का आसन श्वेत कमल है। मां के कई नामों से अलंकृत किया जाता है यथा हंस वाहिनी, वीणा पुस्तक धारणी, कमल आसनी, पद्मासनी आदि। मां अपने भक्तों को सदा बुद्धि एवं विद्या देवी है जिससे समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
यह है सरस्वती पूजन का शुभ मुहूर्त :
प्रात: काल 6 बजकर 54 मिनट से शाम 5 बजकर 36 मिनट तक मां सरस्वती की पूजा की जाएगी। वहीं विद्या की देवी वीणावादिनी की पूजन के लिए विशेष मुहुर्त के बारे में आचार्य ने बताया कि 7:59 बजे से 9:28 बजे तक कुंभ लग्न (स्थिर लग्न), अभिजीत मुहूर्त 10:16 से 12:27 तक तथा दोपहर 1:15 मिनट से 3:16 बजे तक वृष लग्न (स्थिर लग्न) में मां सरस्वती की पूजन बहुत ही शुभकारी होगा। स्थिर लग्न में पूजा करने से साधकों को पूर्ण लाभ मिलता है।
विद्यार्थी ऐसे करें मां सरस्वती की पूजा :
विद्यार्थी प्रात:काल उठकर स्नान के पश्चात श्वेत अथवा पीत वस्त्र धारण करें। सर्वप्रथम मां की मूर्ति या फोटो सफेद वस्त्र या पीला वस्त्र बिछाकर अष्टदल कमल बनाकर कलश स्थापित करें। गंगा तीर्थ आह्वान करने के बाद स्वातीवाचन करके संकल्प करें। उसके बाद गणेश एवं भगवती की पूजन करें। तत्पश्चात पुष्पांजलि करने के बाद मां की प्रार्थना करें एवं ध्यान करें। मां सरस्वती के चित्र के समक्ष सफेद पुष्प और पीला मिष्ठान चढ़ाएं और मां सरस्वती से विद्या और बुद्धि का आशीर्वाद लें। साथ ही या कुंदेंदुतुषारहारधवला, या शुभ्रवस्त्रावृता। या वीणा वर दण्डमण्डित करा, या श्वेत पद्मासना। या ब्रहमाऽच्युत शंकर: प्रभृतिर्भि: देवै: सदा वन्दिता। सा मां पातु सरस्वती भगवती, नि:शेषजाड्यापहा।। मंत्र का ध्यानपूर्वक उच्चारण करें। उसके उपरांत आरती कर मां का प्रसाद ग्रहण करें।
बच्चों का विद्यारंभ कराने का अवसर :
बसंत पंचमी के ही दिन शिशुओं के विद्यारंभ कराने का शुभ अवसर भी है। ब्राह्माणों की ओर से पहला अक्षर लिखना सिखाया जाता है। विद्या आरंभ करने के लिए यह दिन काफी शुभ माना जाता है, इसलिए माता-पिता शिशु को मां सरस्वती के आशीर्वाद के साथ विद्या आरंभ कराते हैं। सभी विद्यालयों में सरस्वती पूजा के दिन सुबह के समय मां सरस्वती की पूजा की जाती है।
बाजार में पूजा सामग्री की दर :
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