छपरा

बिहार की शिशु मृत्यु दर 3 अंक घटकर हुयी राष्ट्रीय औसत के बराबर

  • सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे की रिपोर्ट से हुआ खुलासा
  • नवजात मृत्यु दर में भी 3 अंकों की आयी कमी
  • अंडर-5 मृत्यु दर में भी आई 4 अंकों की कमी
  • एक वर्ष में 9739 नवजातों एवं 12985 अंडर-5 बच्चों की जान बचाने में मिली सफ़लता
  • राज्य में 60% से अधिक संस्थागत प्रसव सरकारी अस्पतालों में

छपरा: कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों ने जहाँ राज्य सरकार के सामने चुनौतियाँ पेश की है, वहीँ राज्य के लिए एक अच्छी खबर भी सामने आयी है. सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे में यह खुलासा हुआ है कि बिहार की शिशु मृत्यु दर 3 अंक घटकर राष्ट्रीय औसत के बराबर हो गयी है. वर्ष 2017 में बिहार की शिशु मृत्यु दर 35 थी, जो वर्ष 2018 में घटकर 32 हो गयी. इस कमी के बाद बिहार की शिशु मृत्यु दर राष्ट्रीय शिशु मृत्यु दर के बराबर हो गयी है. यह इसलिए भी संभव हो सका है, क्योंकि बिहार की नवजात मृत्यु में भी 3 अंकों की कमी आई है. बिहार की नवजात मृत्यु दर जो वर्ष 2017 में 28 थी, वर्ष 2018 में घटकर 25 हो गयी. अब बिहार की नवजात मृत्यु दर भी देश की नवजात मृत्यु दर(23) के काफ़ी करीब पहुंच गया है. बिहार की नवजात मृत्यु दर पिछले 7 वर्षों से 27-28 के बीच लगभग स्थिर था. लेकिन वर्ष 2018 में आई 3 अंकों की कमी को स्वास्थ्य की दिशा में उल्लेखनीय कामयाबी के तौर पर देखा जा सकता है. बिहार का ग्रामीण नवजात मृत्यु दर (26) भारत के ग्रामीण नवजात मृत्यु दर (27) से 1 अंक कम है. इस प्रकार, बिहार को अब इस पैरामीटर पर राष्ट्र को नीचे खींचने के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता है.

अंडर-5 मृत्यु दर में भी आई 4 अंकों की कमी

राज्य के नवजात एवं शिशु मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी के साथ अंडर-5( 5 वर्ष से पूर्व के बच्चों) मृत्यु दर में भी 4 अंकों की कमी आई है. वर्ष 2017 में अंडर-5 मृत्यु दर 41 थी, जो वर्ष 2018 में घटकर 37 हो गयी. वहीं बिहार की प्रारंभिक नवजात मृत्यु दर में 1 अंक की कमी एवं लेट नवजात मृत्यु दर में 2 अंकों की कमी आई है. इन आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2017 की तुलना में वर्ष 2018 के दौरान 9739 नवजात और 12985 अंडर-5 मौतें टालने में कामयाबी मिली है.

प्रसवकालीन मृत्यु दर में भी आयी 2 अंकों की कमी

वर्ष 2017 की तुलना में वर्ष 2018 में राज्य की प्रसवकालीन मृत्यु दर में भी 2 अंकों की कमी आई है. वर्ष 2017 में प्रसवकालीन मृत्यु दर 24 थी, जो वर्ष 2018 में घटकर 22 हो गयी. शिशु मृत्यु दर में लिंग भेद में भी पिछले वर्षों की तुलना में कमी आयी है. वर्ष 2016 में जेंडर का अंतर 15 था, जो वर्ष 2018 में घटकर 5 हो गयी.

मृत्यु दर को कम करने के लिए स्वास्थ्य विभाग, बिहार सरकार द्वारा हस्तक्षेप

  • फैसिलिटी बेस्ड नवजात देखभाल (एफबीएनसी) कार्यक्रम: इस कार्यक्रम के तहत सभी प्रसव बिंदुओं पर नवजात शिशु देखभाल कॉर्नर (एनबीसीसी) , सभी प्रथम रेफरल इकाइयों (एफआरयू) में नवजात स्थिरीकरण इकाइयां (एनबीएसयू) और जिला अस्पतालों और चिकित्सा कॉलेजों और अस्पतालों में विशेष नवजात देखभाल इकाइयों (एसएनसीयू) को महत्वपूर्ण नवजात और बाल स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं तक पहुंच बढ़ाने के लिए स्थापित किये गए हैं.

बीइएमओसी और सीईएमओसी सेवाओं के प्रावधान के लिए नामित स्वास्थ्य सुविधाओं का उन्नयन किया गया. स्वास्थ्य सुवधाओं में देखभाल की इष्टतम गुणवत्ता की निगरानी और उन्नयन के लिए गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम को लागू किया गया है. राज्य में 60% से अधिक प्रसव सरकारी अस्पतालों में उच्च गुणवत्ता वाले इंट्रानेटल और प्रसवोत्तर देखभाल के साथ हो रहे हैं, जो नवजात मृत्यु दर को कम करने का महत्वपूर्ण तरीका है.

राज्य स्वास्य्र समिति, बिहार द्वारा नर्सों एवं एएनएम की क्षमता वर्धन करने के लिए राज्य भर में अमानत( मोबाइल नर्स मेंटरिंग) कार्यक्रम चलाया जा रहा है. इसके माध्यम से प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी गर्भवती महिलाओं एवं नवजात को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान कर रहे हैं.

  • गृह आधारित नवजात देखभाल: आशा कार्यकर्ताओं की सक्रिय भागीदारी के साथ राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार गृह भ्रमण सुनिश्चित कर रहा है एवं आवश्यक नवजात देखभाल के लिए परामर्श प्रदान कर रह है.
  • कमजोर नवजात देखभाल कार्यक्रम: कमजोर नवजात( कम वजन वाले जन्मे नवजात, समय से पूर्व जन्मे नवजात, बीमार नवजात) पर विशेष ध्यान केन्द्रित करते हुए कमजोर नवजात देखभाल नामक एक विशेष कार्यक्रम क्रियान्वित किया जा रहा है. इन नवजातों के लिए गृह भ्रमण और टैलीफोनिक ट्रैकिंग के माध्यम से देखभाल का प्रावधान किया गया है.

राज्य में टीकाकरण कवरेज 80% से अधिक

राज्य में टीकाकरण कवरेज 80% से अधिक है, जिससे शिशु मृत्यु दर एवं पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु में कमी आई है. राज्य में नवजात शिशु सुरक्षा कार्यक्रम, पोषण पुनर्वास केंद्र, इन्फेंट एंड यंग चाइल्ड फीडिंग, बाल दस्त रोग नियंत्रण कार्यक्रम, माइक्रोन्यूट्रिन्ट सप्प्लिमेंट( विटामिन ए, आयरन फोलिक एसिड), श्वसन संक्रमण रोग नियंत्रण कार्यक्रम, गंभीर कुपोषण वाले बच्चों का प्रबन्धन जैसे अन्य बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम लागू किये गए हैं, जो अंडर-5 मृत्यु दर घटाने में बढ़ी भूमिका अदा कर रहे हैं.

Siwan News

Recent Posts

महाराजगंज: मदर्स डे पर विविध कार्यक्रम का आयोजन

परवेज अख्तर/सिवान: महाराजगंज शहर स्थित उमाशंकर चंपा देवी डीएवी पब्लिक स्कूल में सोमवार को मदर्स…

May 13, 2024

दरौली: संत के बिना नहीं मिलते भगवंत : स्वामी रामस्वरूपाचार्य

परवेज अख्तर/सिवान: जिले के दरौली प्रखंड के सिद्ध गुफा चकरी योगाश्रम पर चल रहे पंचकुंडीय…

May 13, 2024

सिवान: हथियार का भय दिखा सीएसपी संचालक से दो लाख रुपये की लूट

परवेज अख्तर/सिवान: जामो बाजार थाना क्षेत्र के छतीसी और बलडीहां के समीप सोमवार को करीब…

May 13, 2024

सिवान: नौ लोगों के विरुद्ध सीसीए वाद पारित, आदेश के उल्लंघन पर होगी कार्रवाई

परवेज अख्तर/सिवान: लोकसभा चुनाव को शांतिपूर्ण व निष्पक्ष रुप से संपन्न कराने को लेकर जिला…

May 13, 2024

दारौंदा: घर पर बदमाशों ने की फायरिंग, बाल-बाल बचे दंपती

परवेज अख्तर/सिवान: जिले के दारौंदा थाना क्षेत्र के धनौती में रविवार की रात एक घर…

May 13, 2024

सिसवन: मेंहदार में पुजारी एवं फुल व्यवसायियों के बीच मारपीट में दोनों पक्ष के एक दर्जन से अधिक घायल

परवेज अख्तर/सिवान: जिले के सिसवन प्रखंड के ऐतिहासिक बाबा महेंद्रानाथ मंदिर में सोमवार को मंदिर…

May 13, 2024