छपरा: गर्भवती महिलाओं को भी हो सकती है टीबी बिमारी, सही समय पर पहचान से संपूर्ण इलाज संभव

0
  • सही उपचार मिले तो स्वस्थ बच्चा लेगा जन्म
  • दवा अधूरा छोड़ने पर दूबारा हो सकता है टीबी

छपरा: टीबी एक गंभीर बीमारी है जिससे कोई भी ग्रसित हो सकता है। गर्भवती महिलाओं पर भी यह बात लागू होती है। लेकिन गर्भवती महिलाओं में टीबी के इलाज की प्रक्रिया थोड़ी जटिल है। टीबी से ग्रसित होने पर गर्भवती महिला के साथ उनके गर्भ में पल रहा शिशु दोनों को खतरा होता है. इसके लिए गर्भवती माता को अधिक ध्यान देने की जरूरत है ताकि भ्रूण के विकास में किसी तरह की बाधा न आए और प्रसव के बाद मां अपने शिशु को आसानी से स्तनपान करा सके। गर्भावास्था के दौरान महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। गर्भावस्था के दौरान लगातार एक सप्ताह से ज्यादा खांसी,लगातार बहुत तेज बुखार, भूख की कमी, असामान्य तरीके से थकान महसूस करना और अस्वस्थ रहना, खांसी में खून का आना एवं गर्दन की ग्रंथियों में सूजन होना जैसे लक्षण दिखे तो चिकित्सक का सलाह लेना आवश्यक है। ऐसे लक्षण टीबी के हो सकते हैं.

विज्ञापन
pervej akhtar siwan online
WhatsApp Image 2023-10-11 at 9.50.09 PM
WhatsApp Image 2023-10-30 at 10.35.50 AM
WhatsApp Image 2023-10-30 at 10.35.51 AM
ahmadali

दवा अधूरा छोड़ने पर दूबारा हो सकता है टीबी

सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा ने बताया गर्भवती महिला को सुरक्षित तरीके से एंटीबायोटिक देकर टीबी से बचाया जा सकता है। सामान्य तौर टीबी का इलाज 6 महीनों तक चलता है। यह बहुत जरूरी है कि कोर्स को पूरा किया जाए। टीबी का इलाज बीच में छोड़े जाने से अधूरा रह जाता है जिससे टीबी के दोबारा होने की आशंका बनी रहती है। इतना ही नहीं टीबी का इलाज अधूरा छोड़ने के कारण घर के अन्य सदस्यों को भी यह बीमारी हो सकती है। इसमें नए जन्मे शिशु भी शामिल हैं।

सही उपचार मिले तो स्वस्थ बच्चा लेगा जन्म

सिविल सर्जन ने बताया गर्भावस्था में माँ को सही उपचार मिले तो बच्चा स्वस्थ पैदा होता है। अगर इलाज देरी से शुरू होता है तो इससे बच्चे का जन्म समय से पूर्व हो सकता है और बच्चे के वजन पर इसका असर पड़ता है। टीबी से प्रभावित गर्भवती महिला से बच्चे को टीबी होने की आशंका बहुत कम होती है।

इन बातों का रखें ध्यान

  • गर्भवती महिला को अपना पूरा इलाज कराना चाहिए
  • इलाज को अधूरा छोड़ना सही नहीं है
  • स्तनपान कराने से बच्चे को टीबी नहीं होता है, इसलिए मां बेझिझक अपने बच्चे को दूध पिला सकती है
  • मांएं गर्भावस्था में ही दवाओं को नियमित लें और कोर्स पूरा करें
  • अगर डिलीवरी हो गई है तो डाक्टरों की सलाह से बच्चे से थोड़ी दूरी बनाए रखें
  • बच्चे को गोद में उठाने से पहले मास्क पहन लें

लक्षणों को छिपाने से बचें

गर्भावस्था में गर्भवती महिला को अपने स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है. यदि किसी गर्भवती महिला को एक सप्ताह से अधिक खांसी, बुखार एवं कमजोरी महसूस हो तो नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या अपने क्षेत्र की आशा, आंगनबाड़ी या एएनएम को तत्काल सूचित करना चाहिए. टीबी के लक्षण छिपाने पर गर्भवती महिला को अधिक परेशानी हो सकती है. साथ ही इससे गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर भी पड़ सकता है. जिले में टीबी का सम्पूर्ण ईलाज निःशुल्क उपलब्ध है.