Siwan News

हर मुसलमान पर फर्ज है रोजा : मौलाना इरशाद अहमद

परवेज़ अख्तर/सिवान:- रमजान का पवित्र महीना शुरू हो चुका है। मुस्लिम धर्म में बड़े तो बड़े छोटे भी रोजा रखकर अल्लाह की इबादत कर रहे हैं। रातों में तो मस्जिदों में बच्चों की भीड़ तरावीह पढ़ने के लिए देखते बनती है। वहीं सदर प्रखंड के नथुछाप मौजे मस्जिद के खतिबो इमाम मौलाना इरशाद अहमद ने रमजानुल मुबारक पर फजीलत बताया कि इस्लामिक कैलेंडर में 9वां महीना रमजान का होता है। चांद के हिसाब से गिने जाने वाले इस कैलेंडर में 29 या 30 दिन होते हैं। इस हिसाब से हर साल करीब 10 दिन कम होकर अगला रमजान का महीना शुरू होता है।

क्या है इस पवित्र महीने का इतिहास

इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक सन 2 हिजरी में अल्लाह के हुक्म से मुसलमानों पर रोजे फर्ज (जरूरी) किए गए। इसी महीने में शब-ए-कदर में अल्लाह ने कुरान जैसी नेमत दी। तब से मुस्लिम इस महीने में रोजे रखते आ रहे हैं।

क्या होती है सहरी, इफ्तार और तरावीह

रमजान के दिनों में लोग तड़के उठकर सहरी करते हैं। सहरी खाने का वक्त सुबह सादिक (सूरज निकलने से करीब डेढ़ घंटे पहले का वक्त) होने से पहले का होता है। सहरी खाने के बाद रोजा शुरू हो जाता है। रोजेदार पूरे दिन कुछ भी खा और पी नहीं सकता। शाम को तय वक्त पर इफ्तार कर रोजा खोला जाता है। एहतियात के तौर पर सूरज डूबने के तीन-चार मिनट बाद ही रोजा खोलना चाहिए। फिर रात की इशा की नमाज (करीब 9 बजे) के बाद तरावीह की नमाज अदा की जाती है। इस दौरान मस्जिदों में कुरान भी पढ़ा जाता है। ये सिलसिला पूरे महीने चलता है। महीने के अंत में 29वां का चांद होने पर ईद मनाई जाती है। 29 का चांद नहीं दिखने पर 30 रोजे पूरे कर अगले दिन ईद का जश्न मनाया जाता है।

किसको है रोजे से छूट

अगर कोई बीमार हो या बीमारी बढ़ने का डर हो तो रोजे से छूट मिलती है। हालांकि, ऐसा डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए। – मुसाफिर, गर्भवती महिला और बच्चे को दूध पिलाने वाली मां को भी रोजे से छूट रहती है। बहुत ज्यादा बुजुर्ग शख्स को भी रोजे से छूट रहती है।

रमजान का असली मकसद

रोजे रखने का मकसद अल्लाह में यकीन को और गहरा करना और इबादत का शौक पैदा करना है। साथ ही सभी तरह के गुनाहों और गलत कामों से तौबा की जाती है। इसके अलावा, नेकी का काम करने को प्रेरित करना, लोगों से हमदर्दी करना और खुद पर नियंत्रण रखने का जज्बा पैदा करना भी इसका हिस्सा है।

चैरिटी के लिहाज से भी है खास

सन् 2 हिजरी में ही जकात (चैरिटी) को भी जरूरी बताया गया है। इसके तहत, अगर किसी के पास सालभर उसकी जरूरत से अलग साढ़े 52 तोला चांदी या उसके बराबर का कैश या कीमती सामान है तो उसका ढाई फीसदी जकात यानी दान के रूप में गरीब या जरूरतमंद को दिया जाता है। वहीं, ईद के नमाज के पहले फितरा (एक तरह का दान) हर मुस्लिम को अदा करना होता है। इसमें 2 किलो 45 ग्राम गेहूं की कीमत तक की रकम गरीबों में दान की जाती है।

Siwan News

Recent Posts

नौतन: किशोर के गायब होने से स्वजन चिंतित

नौतन थाना क्षेत्र के नारायणपुर निवासी नथुनी साह के पुत्र नागेंद्र साह शुक्रवार की शाम…

April 29, 2024

असांव: अज्ञात वाहन की टक्कर से विद्युत पोल क्षतिग्रस्त

परवेज अख्तर/सिवान: जिले के असांव थाना क्षेत्र के फाजिलपुर में शनिवार को एक अनियंत्रित वाहन…

April 29, 2024

सिवान: नरेंद्र मोदी पर सोशल मीडिया पर राजनीति टिप्पणी के आरोप में युवक गिरफ्तार

परवेज़ अख्तर/सिवान: असांव थाना थाना की पुलिस ने कटवार गांव में छापेमारी कर एक युवक…

April 29, 2024

लकड़ी नबीगंज: मारपीट में दो घायल

परवेज अख्तर/सिवान: जिले के लकड़ी नबीगंज थाना क्षेत्र के नरहन गांव में सोमवार को आपसी…

April 29, 2024

बड़हरिया: सीसी कैमरा से होने लगी बड़हरिया नगर पंचायत क्षेत्र की निगरानी

परवेज अख्तर/सिवान: अब बड़हरिया नगर पंचायत की निगरानी सीसी कैमरे के माध्यम से की जा…

April 29, 2024

हसनपुरा: हथियार के बल पर मारपीट कर रुपये छीनने का आरोप

परवेज अख्तर/सिवान: जिले के हसनपुरा एमएच नगर थाना क्षेत्र के पड़री निवासी बलिराम यादव ने…

April 29, 2024