रमजान का पवित्र महीना सब्र और पाकीजगी का देता है सबक : हाफिज मो.तुफैल अख्तर आसवी

अल्लाह ने फरमाया कि रोजा मेरे लिए है और मैं ही उसका बदला हूं

परवेज़ अख्तर/सिवान :
उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के सिकंदरपुर स्तिथ मदरसा दारूल उलूम सरकारे आसी के हाफिज मो.तुफैल अख्तर आसवी ने रमजानुल मुबारक पर फजीलत बयान करते हुए कहा कि रमजान का पवित्र महीना सब्र और हृदय की पाकीजगी का सबक देने वाला महीना है।उन्होंने कहा कि इस महीना को इस्लाम धर्म में बड़ा महत्वपूर्ण माना जाता है। पूरे एक महीना तक हर बालिग व आकिल मुसलमान मर्द एवं औरत रोजा रखते हैं।और रात में विशेष इबादत जिसे तरावीह की नमाज कहते हैं।उसे अदा करते हैं।रमजान का रोजा पूरा एक महीना चलता है।पवित्र महीना के तीन हिस्से हैं।

इस का प्रथम रहमतों के दिन, दूसरे दस दिनों को मगफेरत यानी बख्शीश( क्षमा) का अशरा कहा जाता है।और इस का आखिरी दस दिन जहन्नम यानी (नर्क) से छुटकारा का अशरा कहलाता है।एक अशरा अरबी भाषा में दस दिनों को कहते हैं। रोजा रखने के लिए रात के अंतिम हिस्से में सेहरी यानी कुछ मीठी चीज का सेवन करते हैं। उसके बाद दिन भर न कुछ खाते हैं।और न पीते हैं।यहां तक कि पानी की एक बूंद भी नहीं पीते हैं। फिर सूर्य डूबने के बाद जब शाम को मगरिब की अजान होती है। तब रोजेदार इफ्तार करके रोजा खोलते हैं।उन्होंने कहा कि माहे रमजान खैरो बरकत का महीना है।इसकी हर घड़ी रहमत भरी हुई है।

इस महीने में रोजेदार का सोना भी इबादत में लिखा जाता है।रमजान के रोजेदार के लिए दरिया की मछलियां इफ्तार तक दुआ ए मगफिरत करती रहती है।और रोजा बातिनी यानी छुपी हुई इबादत है।अल्लाह बतिनी इबादत को ज्यादा पसंद फरमाता है।एक हदीस में यह भी है कि रोजा इबादत का दरवाजा है।उन्होंने कहा कि हर चीज की जकात है तथा बदन की जकात रोजा है।इस माह में जो मालिक के नेसाब हैं वह अपने दौलत में से ढाई प्रतिशत जकात निकाले।क्योंकि दौलत (माल )की जकात निकाल देने से वह दौलत महफूज हो जाता है।

इस महीने में एक ऐसी रात है जो हजार महीने की इबादत से अफजल है।जिसे शबे कद्र कहा जाता है।जिसकी तलाश करने का हुक्म हमारे सरकार ने 21,23, 25 एवं 27 की रात में तलाश करने का हुक्म फरमाया है।और यह भी कहा है कि हदीसे कुदसी है अल्लाह ने फरमाया कि रोजा मेरे लिए है और मैं ही उसका बदला हूं।पता चला कि हर इबादत का सवाब जन्नत है। लेकिन रोजेदार के लिए अल्लाह ताला से मुलाकात है। दूसरी ओर उन्होंने कहा कि रोजेदार को दो खुशियां हासिल होती है पहला जब वह रोजा इफ्तार करता है और दूसरा कि जब वह अल्लाह से मुलाकात करेगा।उन्होंने कहा कि रमजान के महीने में रोजेदार अधिक से अधिक गरीब तबके के लोगों की मदद करें तथा नजदीकी एदारा का ख्याल रखें। अंत में उन्होंने कहा कि इस बार कोविड -19 संक्रमण के कारण कुछ मनाही की गयी है।हमें नियमों के अनुसार इसका अनुपालन करना चाहिए।

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