बच्चों एवं माताओं को लू के प्रकोप से बचाने के लिए आईसीडीएस करेगा सहयोग

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  • तीन स्तर पर लू प्रबंधन के लिए दिए गए निर्देश
  • कोविड-19 प्रोटोकॉल का अनुपालन करते हुए किया जाएगा बचाव कार्य
  • होम क्वारंटाइन में रह रहे लोगों को भी किया जाएगा जागरूक

सिवान: गर्मी के महीनों की शुरुआत होते ही हीट स्ट्रोक यानी लू का खतरा बढ़ गया है. कोरोना के बढ़ते संक्रमण ने भी स्वास्थ्य चुनौतियाँ बढ़ा रखी है. ऐसे दौर में लोगों के लिए कोरोना संक्रमण के साथ लू से खुद को सुरक्षित रखने के लिए अधिक सतर्क होने की जरूरत है. इस दिशा में आईसीडीएस के निदेशक आलोक कुमार ने सभी जिला कार्यक्रम पदाधिकारी एवं बाल विकास परियोजना पदाधिकारी को पत्र लिखकर 6 साल से कम उम्र के बच्चे, गर्भवती माताओं एवं धात्री माताओं को लू के प्रकोप से बचाने के संबंध में विस्तार से दिशानिर्देश दिया है. पत्र में बताया गया है कि पिछले वर्ष में अनियमित वर्षा के कारण राज्य के अधिकांश जिलों के प्रखंडों में सुखाड़ की स्थिति रही है. जिससे इस साल अधिक नमी की संभावना होगी एवं परिणाम स्वरुप गर्म हवाओं/ लू चलने की संभावना अधिक होगी. लू से सतर्क रहने की जरूरत तो सभी को है, लेकिन विशेषकर 6 साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती एवं धात्री माताओं को इससे अधिक खतरा है. इसलिए इन्हें सुरक्षित रखने के लिए परिवार, आंगनबाड़ी केंद्र एवं प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई करने की आवश्यकता है. साथ ही लू से बचाव के लिए की जाने वाली कार्रवाई के दौरान कोविड-19 के प्रोटोकॉल के पालन करने के भी निर्देश दिए गए हैं.

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परिवार स्तर पर लोगों को सचेत रहने की है जरूरत

पत्र में बताया गया है कि लू से बच्चों को बचाने में परिवार के लोग महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर अकते हैं. इसके लिए बच्चों को घर से बाहर निकलने न दें. यदि अति आवश्यक कार्य हो तो बच्चों के मुँह एवं नाक को ठीक प्रकार से मास्क, रुमाल या छोटे गमछे से लपेट कर घर के बड़े लोगों की निगरानी में ही निकलने दें. बच्चों को थोड़े-थोड़े अंतराल पर पानी देते रहें. यथासंभव हो सके तो पानी में ग्लूकोज मिलाकर बच्चों के दें. बच्चों को हल्का भोजन दें. दिन में थोड़े-थोड़े कई बार खाना दें एवं ध्यान रखें कि खाना ताजा हो. लू लग जाने से तौलिया/ गमछा ठन्डे पानी में भिगों कर शरीर को बार-बार पोछें एवं आम का पन्ना, सत्तू का घोल एवं नारियल का पानी दें. ओआरएस का घोल एवं ग्लूकोज का नियमित सेवन करने से लू में बचाव होता है. यदि घर में ओआरएस का घोल नहीं हो तो इसके विकल्प के रूप में नामक एवं चीनी का घोल बनाकर लू/ डायरिया पीड़ित को दें.

आंगनबाड़ी केन्द्रों पर मिलेगी बचाव की जानकारी

डीपीओ नीतू सिंह ने बताया कि टेकहोम राशन के लिए जब भी महिलाएं आंगनबाड़ी केन्द्रों पर महिलाएं आये तो सेविका उन्हें लू से बचाव की जानकारी दें. साथ ही गृह भ्रमण के दौरान भी गर्भवती एवं धात्री माताएं को खुद से लू बचने के सलाह दें. साथ ही वे घर पर अपने बच्चों का कैसे बेहतर ध्यान रखकर उन्हें लू से बचा सकती है, इसकी भी जानकारी दें. महिला पर्यवेक्षिकाओं एवं आंगनबाड़ी सेविका द्वारा लू लगने के लक्षण, उसके कुप्रभाव एवं प्राथमिक उपचार के विषय में लोगों को जानकारी देते समय कोविड-19 प्रोटोकॉल के पालन करने की बात कही गयी है. यह बताया गया है कि जानकारी देते समय सामाजिक दूरी का ख्याल रखें या मोबाइल से जानकारी दें.

प्रशासन के स्तर पर भी लू से बचाव को लेकर होगी कार्रवाई

लू पीड़ितों को समुचित स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए जिले के स्वास्थ्य विभाग से समन्वय स्थापित करने के निर्देश दिए गए हैं ताकि प्राथमिकता के आधार पर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, अनुमंडलीय अस्पतालों में जरुरत के हिसाब से पीड़ित को भर्ती कराया जा सके. राज्य में आये जिन प्रवासियों को होम क्वारंटाइन किया गया है, उन्हें भी लू के विषय में जागरूक करने की बात कही गयी है. साथ ही राज्य के सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों में पर्याप्त मात्रा में ओआरएस पाउडर की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए गए हैं.