चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों को साईको सोशल सपोर्ट और सामाजिक भेदभाव विषय पर किया गया उन्मूखीकरण

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  • निश्चित रूप से इस कठिन समय में तनाव का सामना करने में मदद करेगा यह प्रशिक्षण: आयुक्त
  • चिकित्सकों को मानसिक तनाव से दूर रहने की दी गयी जानकारी
  • सारण प्रमंडलीय आयुक्त और क्षेत्रीय अपर निदेशक ने की कार्यशाला की शुरूआत

छपरा: वैश्विक महामारी कोरोना संकट के बीच अपने कर्तव्यों को निभा रहे चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों को साईको सोशल सपोर्ट विषय पर ऑनलाईन उन्मूखीकरण किया गया। सारण प्रमंडल के तीनों जिले सारण, सिवान और गोपालगंज के चिकित्सकों और कर्मियों को यह प्रशिक्षण दिया गया। कार्यशाला के मुख्य बिन्दुओं पर चर्चा करते हुए सारण प्रमंडल के प्रमंडलीय आयुक्त आरएल चोंग्थू ने कहा कि छह माह से पूरा विश्व कोरोना संकट से जुझ रहा है। इस परिस्थिति में ऐसी कार्यशाला का आयोजन कराना काफी सराहनीय है। उन्होने यूनिसेफ को धन्यवाद देते हुए कहा कि कोविड-19 के इस परिस्थिति में सबसे बड़ी समस्या मानसिक स्वास्थ्य को सुदृढ करने के लिए विशेषज्ञों द्वारा स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्होने कहा कि उन्हें यकीन है कि यह प्रशिक्षण निश्चित रूप से हम सभी को इन कोशिशों के दौराना तनाव का सामना करने में मदद करेगा और हम सभी मिलकर इस कठिन समय को पार करेंगे। कार्यशाला की शुरूआत करते हुए क्षेत्रीय अपर स्वास्थ्य निदेशक डॉ रत्ना शरण ने बताया इस वैश्विक महामारी में सबसे जरूरी है अपना मानसिक संतुलन बनाये रखना। मूड में बदलाव और डिप्रेशन, दो अलग-अलग स्थितियां हैं। मूड थोड़ी देर के लिए खराब होता है, लेकिन डिप्रेशन का असर लंबे समय तक रहता है। कोरोना के रोकथाम में चिकित्सक और फ्रंटलाइन वर्कर्स अपने कर्तव्यों को बखूबी निभा रहें है। कोरोना के उपचाराधीन मरीजों के उपचार अपनी महती भूमिका अदा कर रहें है। जो काफी सराहनीय है। यूनिसेफ बिहार के द्वारा राज्य स्वास्थ्य समिति से समन्वय स्थापित कर आईजीआईएमएस पटना, नेशनल इंस्टिटयूट ऑफ मेण्टल हेल्थ एण्ड न्यूरो साइंसेस (निमहांस),बैंगलोर के सहयोग से साइको सोशल सपोर्ट और सामाजिक भेदभाव विषय प्रशिक्षण दिया गया।

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विशेषज्ञों ने बताया मानसिक तनाव को दूर करने का तरीका

प्रशिक्षण के उदेश्य पर यूनिसेफ बिहार के हेल्थ स्पेशलिस्ट डॉ. शैयद हबे अली, मुख्य बिन्दुओं पर पर चर्चा की। कोविड-19 महामारी में साइको सोशल सपोर्ट विषय पर निमहांस बैंगलौर के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. जनार्धन एन, महामारी और मानसिक स्वास्थ्य विषय पर आईजीआईएमएस पटना के साइकेट्री विभाग के प्रोफेसर और हेड डॉ राजेश कुमार, सामुदायिक जागरूकता और परामर्श विषय पर आईजीआईएमएस पटना के क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट प्रिया कुमार, एवर्जन ऑफ स्टीग्मा एंड डिस्क्रीमिनिशन रिलेटेड टू कोविड-19 विषय पर यूनिसेफ बिहार के कम्यूनिकेशन फॉर डेवलपमेंट स्पेशलिस्ट मोना सिन्हा, यूनिसेफ के डॉ एस एस रेड्डी ने चिकित्सकों को प्रशिक्षण दिया गया। सारण के क्षेत्रीय प्रबंधक सदान रहमान ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस प्रशिक्षण में आरपीएम कार्यालय के एकाउंट सहायक मनोज कुमार, डिविजनल आशा समन्वयक संतोष कुमार सिंह समेत अन्य शामिल थे।

आशा और एएनएम को दिया जा चुका है प्रशिक्षण

इसके पूर्व मई महीने में यूनिसेफ और राज्य स्वास्थ्य समिति के सहयोग से राज्य के सभी आशा कार्यकर्ता और एएनएम को साइकोलॉजिक सपोर्ट और सामाजिक भेदभाव पर प्रशिक्षण दिया जा चुका है। अब जिला से लेकर पीएचसी स्तर पर चिकित्सकों को यह प्रशिक्षण दिया गया।

डिप्रेशन के लक्षण

  • हमेशा मन उदास रहना
  • पहले जिन कामों को करने में आनंद आता था, उनमें रुचि कम या खत्म हो जाना
  • यौन संबंधों की इच्छा खत्म होना
  • भूख न लगाना या बहुत ज्यादा भूख लगना
  • वजन कम होना या बढ़ना
  • बहुत ज्यादा या बहुत कम सोना
  • हमेशा बेचैनी रहना
  • दिमाग कम चलना, बोलने-समझने में समस्या आना
  • थकान रहना, एनर्जी की कमी
  • अपराध बोध की भावना, खुद को कुछ नहीं समझना
  • ध्यान केंद्रित करने या निर्णय लेने में मुश्किल
  • मौत या आत्महत्या के विचार आना या आत्महत्या का प्रयास