महाराजगंज: गरीब व जरूरतमंदों के बीच रमजान माह में करें दान

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परवेज अख्तर/सिवान: महाराजगंज रमजान माह में अकीदतमंद रोजा रख कर अल्लाह की इबादत कर रहे हैं. रोजेदार आगे आकर जरूरतमंदों और गरीबों की मदद भी कर रहे हैं. सुबह से लेकर रात तक मस्जिदों में नमाजियों व रोजेदारों की भीड़ उमड़ रही है. इमाम रोजेदार को अल्लाह के बताए मार्ग पर चलने की नसीहत दे रहे हैं. साथ ही लोगों को रमजान माह में गरीबों और जरूरतमंदों की मदद के लिए प्रेरित कर रहे हैं. इसी कड़ी में सदका व जकात को लेकर शहर के शाही जामा मस्जिद व छोटी मस्जिद कमिटी के सदस्यों नें लोगों से गरीबों व जरूरतमंदों के बीच रमजान के पाक माह में दान करने की अपील की है. शहर के शाही जामा मस्जिद के इमाम हजरत मौलाना इसरारुल हक ने कहा कि सदका ए फित्र हर मुसलमान को देना वाजिब (अनिवार्य) है.

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यह सदका हर वह मुसलमान अदा करे, जिसके पास बुनियादी आवश्यकता के अलावा साढ़े सात भर सोना या साढ़े बावन भर चांदी है या उसका मालिक है या उसके पास इतने मूल्य का कोई अन्य सामान या नकद है. कहा कि वह बाध्य है कि वह अपनी ओर से और अपने आश्रित परिवार की ओर से प्रति व्यक्ति’आधा सा'( दो किलो पचास ग्राम) गेहूं या एक सा’ (चार किला सौ ग्राम) जौ दान करे या तो उक्त चीजों के वर्तमान मूल्य की रकम गरीबों व जरूरतमंदों के बीच बांटे. अफजल यह है कि अपनी माली हैसियत का ऐतबार करते हुए इन चीजों में से किसी एक चीज का इंतखाब करे. सुविधा के लिए बताया कि प्रति व्यक्ति चार किलो एक सौ ग्राम जौ या उसकी कीमत लगभग 164 रुपये तथा प्रति व्यक्ति दो किलो पचास ग्राम गेहूं या उसी कीमत लगभग 42 रुपये अकीदतमंद अदा कर सकते हैं.

सदका – ए – फित्र के कई हैं लाभ

इमाम मौलाना जहांगीर हसन मिस्वाई ने बताया कि अगर रोजे के बीच कोई कमी, अपशब्द और फालतू बातें हों जायें, तो यह सदकाए फित्र उसके लिए प्रायश्चित के तौर पर होगा और दूसरा यह है कि गरीबों और जरूरतमंदों के भोजन की व्यवस्था की जाये. ताकि वे ईद के दिन घर-घर भीख मांगने के झंझट से बच सकें और आम मुसलमानों के साथ ईद की खुशियां बांट सकें.