कुपोषण शिशुओं के सर्वांगीण विकास में बाधक, सुपोषित बच्चों के लिए पूरक आहार जरूरी

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  • 6 माह तक केवल स्तनपान एवं 6 माह के बाद पूरक आहार
  • बेहतर पोषण ही है स्वस्थ जीवन की आधारशिला
  • बच्चों व माताओं के खानपान पर हो रही विशेष काउंसिलिंग

परवेज अख्तर/सिवान : कुपोषण शिशुओं के बेहतर स्वास्थ्य में बाधक होने के साथ उनके जीवन के सर्वांगीण विकास में सबसे बड़ा अवरोधक होता है। जन्म के बाद शुरुआती दो साल की अवधि में शिशुओं को प्रदान की गई बेहतर पोषण ही भविष्य में उनके स्वस्थ जीवन की आधारशिला तैयार करती है। जिसमें 6 माह तक केवल स्तनपान एवं 6 माह के बाद पूरक आहार की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। सुपोषित बच्चे के लिए पूरक आहार ही उनके स्वस्थ जीवन की कुंजी है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार सिवान जिले में 59.5 प्रतिशत शिशु ही ऐसे हैं, जिन्हें पहले छह माह तक सिर्फ स्तनपान कराया जाता है। साथ ही, 6 से 8 माह तक के 39.9 प्रतिशत शिशु हैं, जिन्हें मां के दूध के साथ ऊपरी आहार प्राप्त होता है। वहीं, जिले में 6-23 माह के मात्र 10.8 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें मां के दूध के साथ साथ समुचित आहार प्राप्त होता है।

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पोषण पर की जा रही है विशेष काउंसिलिग:

आईसीडीएस के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी प्रतिभा गिरी ने बताया बच्चों में कुपोषण की वजह से बौनापन (स्टंटिग) और अल्पवजन (वेस्टिग )से बचाव के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों पर मिलने वाले पोषाहार को और बेहतर ढंग से उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने बताया शिशु जन्म के एक घन्टे के भीतर शिशुओं को स्तनपान कराने से नवजात शिशु मृत्यु दर में 20 फीसद की कमी लायी जा सकती है। वहीं 6 माह तक सिर्फ स्तनपान करने वाले शिशुओं में डायरिया से 11% एवं निमोनिया से 15% तक कम मृत्यु की संभावना होती है। 6 माह तक शिशुओं को सिर्फ स्तनपान कराना चाहिए एवं 6 माह के बाद शिशु को संपूरक आहार देना शुरू कर देना चाहिए। साथ ही, शिशु के बेहतर विकास के लिए कम से कम 2 साल तक शिशु को स्तनपान कराना जारी रखना चाहिए।

उम्र के हिसाब से ऊर्जा की आपूर्ति जरूरी :

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 6 माह से 8 माह के बीच 615 किलो कैलोरी, 9 माह से 11 माह के बीच 686 किलो कैलोरी एवं 12 माह से 23 माह के बीच 894 किलो कैलोरी की जरूरत शिशुओं को होती है। जिसमें स्तनपान के जरिए 6 माह से 8 माह के बीच 413 किलो कैलोरी, 9 माह से 11 माह के बीच 379 किलो कैलोरी एवं 12 माह से 23 माह के बीच 346 किलो कैलोरी की आपूर्ति हो पाती है। इस लिहाज़ से स्तनपान के अलावा शिशुओं को 6 माह से 8 माह के बीच 200 किलो कैलोरी, 9 माह से 11 माह के बीच 300 किलो कैलोरी एवं 12 माह से 23 माह के बीच 550 किलो कैलोरी की अतिरिक्त ऊर्जा की जरूरत होती है।

ऐसे दें शिशुओं को पूरक आहार :

6 माह के शिशुओं को प्रतिदिन 2 से 3 बार, 6 से 9 माह तक के शिशुओं को 1 बार नाश्ता के अलावा 2 से 3 बार, 9 से 12 माह तक के शिशुओं को प्रतिदिन 3 से 4 बार तथा 1 से 2 बार नाश्ता एवं 12 से 23 माह तक के शिशुओं को प्रतिदिन 3 से 4 बार नाश्ता ‘पूरक आहार’ के रूप में देना चाहिए। 6 से माह के शिशुओं को प्रत्येक भोजन में 2 से 3 चम्मच, 6 से 9 माह तक के शिशुओं को प्रत्येक भोजन में लगभग आधा कटोरी, 9 से 12 माह तक के शिशुओं को कम से कम पौन कटोरी एवं 12 से 23 माह तक के बच्चों को प्रत्येक भोजन में कम से कम एक कटोरी पूरक आहार देनी चाहिए। बच्चों के आहार में मसला हुआ आहार , गाढे एवं सुपाच्य भोजन शामिल करना चाहिए। वसा की आपूर्ति के लिए आहार में छोटा चम्मच घी या तेल डालना चाहिये। दलिया के अलावा अंडा, मछली, फलों एवं सब्जियों जैसे संरक्षक आहार शिशुओं के स्वस्थ विकास में सहायक होते हैं।