छह सौ की खरीदी गई साइकिल से निकल पड़ा मोतिहारी

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सीवान : समय के थपेड़ों से आदमी को बहुत कुछ सीखना पड़ता है। जहां कुछ लोग
इसे सार्थक बना लेते हैं, वहीं कुछ लोग निरर्थकता की जंजाल में फंस कर रह
जाते हैं। एक उक्ति तो हमेशा से ही प्रासंगिक रही है कि परिस्थितियां
कितनी भी प्रतिकूल क्यों न हो साहस और संयम से हौसलों में जान आ जाती है।
कुछ ऐसा ही कर दिखया है मोतिहारी जिले के संग्रामपुर थाना क्षेत्र के
केयार दरियापुर निवासी कपिलदेव पटेल के पुत्र रमेश पटेल ने। पेशे से
राजमिस्त्री रमेश वाराणसी के छित्तईपुर मलिहानवा मोहल्ला में किराए के
कमरे में रहकर दैनिक मजदूरी कर अपना जीवन यापन पर रहा था। पूरे देश में
जब लॉक डाउन लागू हुआ तो प्रभावित रमेश पिछले 31 मार्च को वाराणसी से
अपने घर मोतिहारी के लिए निकल पड़ा।

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छह सौ में खरीदी थी साइकिल

रमेश के पास एक पुरानी साइकिल थी जो कुछ दिन पहले 600 रुपए में खरीदी थी।
वहीं साइकिल आज उसकी विपरित परिस्थितियों का सहारा बन गयी। उसी से अपने
गंतव्य को निकल पड़ा। कई परिस्थितियों से जूझते हुए वह एक अप्रैल की देर
शाम बिहार की सीमा में श्रीकलपुर चेकपोस्ट पहुंचा। उसे कितने किलोमीटर का
सफर अभी तय करना है यह पता नहीं। उसे मोतिहारी जाना है, बस यहीं मन में
बना हुआ है।

चेकपोस्ट पर समाजसेवी लंगर में मिला खाना

काफी थका-हारा था रमेश, चेकपोस्ट पर समाजसेवियों द्वारा चल रहे राहत
शिविर में भोजन मिला तो जान में जान आ गयी। हालांकि इसका उसे तनिक भरोसा
भी न था। चेककपोस्ट पर तैनात कर्मियों ने रोक दिया था। किसी तरह आरजू
मिन्नत करके घर के लिए निकल पड़ा।

बच्चों को पढ़ाना चाहता है रमेश

वाराणसी शहर में मजदूरी करने वाला रमेश अपने बच्चों को पढ़ना चाहता है।
इसके लिए वह रेगुलर 8 घंटे की ड्यूटी पूरी करने के बाद ओवरटाइम भी करता
है। लेकिन, इस विषम परिस्थिति में उसे घर लौटना पड़ा।

गांव में कटनी कर जुटाएगा राशन

रमेश इस उम्मीद में जल्दी घर जा रहा है कि गेहूं की कटनी है। खेत में काम
करके खाने का अनाज तो जुटा लेगा। जग के कल्याण के लिए लागू लॉकडाउन पर
उसने कोई टिप्पणी करना मुनासिब नहीं समझा।