परवेज अख्तर/सिवान: प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का लाभ जिले के अधिकतर लाभार्थियों को नहीं मिल पा रहा है। लिहाजा कार्ड उनके लिए अब छलावा साबित होने लगा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गंभीर बीमारियों से ग्रसित लाभार्थी जब सरकारी अस्पतालों में इलाज की उम्मीद लिए जाते हैं तो वहां उन्हें या तो लंबा टाइम दे दिया जाता है या फिर कोई न कोई बहाना बनाकर मामले को टाल दिया जाता है। लिहाजा लाभार्थी थक हारकर प्राईवेट अस्पतालों में अपना इलाज कराने को विवश होता है। हालांकि कई लाभार्थियों के दूसरे प्रदेशों के अस्पतालों में भी इलाज कराने की बात बताया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में इस वर्ष के अबतक एक लाभार्थी का मेजर इलाज सदर अस्पताल में किया गया है। हालांकि मरीजों को इलाज न मिल पाने का कारण कोविड काल बताया जाता है। गौरतलब है कि सदर अस्पताल में आयुष्मान भारत योजना को लेकर एक अलग वार्ड तैयार किया गया है। इसे लेकर डॉक्टर की भी प्रतिनियुक्ति भी की गयी है। बावजूद इसके ई-गोल्डेन कार्डधारियों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है।
अबतक करीब दस फीसदी लाभार्थियों को ही मिल सका गोल्डेन कार्ड
मिली जानकारी के अनुसार जिले में कुल 11 लाख 18 हजार 308 लाभार्थियों का आयुष्मान भारत योजना के तहत ई-गोल्डेन कार्ड बनाया जाना है। इस लक्ष्य के विरूद्ध इस वर्ष के 26 जुलाई तक कुल एक लाख 12 हजार 921 लाभार्थियों का ही ई-गोल्डेन कार्ड बन सका है। बताया गया कि लाभार्थियों का ई-गोल्डेन कार्ड न बनने का मुख्य कारण कोरोना संक्रमण काल को माना जा रहा है। बताया गया कि पंचायतों के कार्यपालक सहायकों को इस दौरान दूसरे कार्यों में लगाने के कारण भी ई-गोल्डेन कार्ड बनाने की रफ्तार धीमी हो गयी।
चयनित लाभार्थियों को पांच लाख रुपए तक का मिलता है स्वास्थ्य बीमा
आयुष्मान भारत योजना प्रधानमंत्री की महत्वकांक्षी योजना है। इसका मुख्य लक्ष्य आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को मुफ्त स्वास्थ्य बीमा देना है। इस योजना के तहत चयनित प्रत्येक परिवार को सलाना पांच लाख रुपये का मेडिकल इंश्योरेंस मिलता है। लाभार्थियों को इलाज को लेकर सरकारी अस्पतालों के अलावा जिले के कुल छह अस्पतालों को चयनित किया गया है। उनमें से करीब तीन में ही इन दिनों लाभार्थियों को इलाज मिल पा रहा है।
क्या कहते हैं सिविल सर्जन
सिविल सर्जन यदुवंश कुमार शर्मा ने बताया कि आयुष्मान भारत योजना का लाभ इस साल में केवल एक गंभीर रोग के लाभार्थी को मिल सका है। ज्यादातर मरीजों को लाभ न मिल पाने का कारण कोविड संक्रमण है। हालांकि हालत सही होने पर सदर अस्पताल में मेजर इलाज पाने वालों की संख्या बढ़ने की उम्मीद है।
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