सिवान:- मासिकधर्म में जिन सैनिटरी पैड्स का इस्तेमाल स्वच्छता और सुरक्षा के लिए किया जाता है वह पूरी तरह से सुरक्षित हो और उससे महिलाओं की सेहत पर बुरा असर भी न पड़े, इसके लिए सरकार ने मानक तय कर रखे हैं। इंडियन ब्यूरो ऑफ़ स्टैंडर्ड्स ने सैनेटरी पैड के लिए यह मानक मूल रूप से 1969 में प्रकाशित किया था जिससे फिर 1980 में संशोधित किया गया| समय-समय पर इसमें बदलाव भी किए जाते रहे हैं।
मानदंडों का करना होता है अनुपालन
सैनिटरी नैपकिन या सैनिटरी पैड मासिक धर्म के दौरान रक्त को सोखने के लिए उपयोग किया जाता है। मासिक स्राव के मद्देनजर तय किए गए मानक के मुताबिक पैड्स एक उचित मोटाई, लंबाई और अवशोषण क्षमता वाले होने चाहिए। यानि सैनिटरी पैड का काम सिर्फ़ ब्लीडिंग को सोखना नहीं स्वच्छता (हाइजिन) के पैरामीटर पर भी खरा उतरना है। अमूमन जब सैनिटरी पैड खरीदते हैं तो ब्रांड वैल्यू पर विश्वास करते हुए पै़ड्स ख़रीद लेते हैं जबकि सैनिटरी पैड की अच्छी गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए, भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा सख्त विनिर्देश तैयार किए गए हैं। आईएस 5405 में मानदंडों और नियमों का विस्तृत विवरण है, जिसका सैनिटरी पैड निर्माताओ कों पालन करना होता है।
सैनिटरी पैड गुणवत्ता के लिए मानक
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