- जिले कई गांवों में छिड़काव कार्य का निरीक्षण किया
- गांवों में आमजनता से टीम सदस्यों ने लिया फीडबैक
- रोगी को श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में दिया जाता है राशि
छपरा: जिले में कालाजार उन्मूलन अभियान का विश्व स्वास्थ्य संगठन के राज्यस्तरीय टीम ने जायजा लिया। इस दौरान टीम के सदस्यों ने गड़खा प्रखंड के कई गांवों का दौरा किया। कालाजार से बचाव के लिए किये गये छिड़काव कार्यों की जानकारी ली गयी। टीम के सदस्यों ने विभिन्न गांवों में आम लोगों से भी फीडबैक लिया। इस दौरान इलाज के बाद उपलब्ध कराई गई दवाओं, खान-पान, रहन-सहन, साफ-सफाई व सरकार की ओर से मिलने वाली 7100 रुपये की सहायता राशि के बारे में जानकारी ली। टीम ने आशा कार्यकर्ता, आम जनता एवं स्थानीय मुखिया तथा ग्रामीण चिकित्सकों से बात की। टीम के द्वारा करीब तीन दिनों से निरीक्षण किया जा रहा है। सोनपुर, गड़खा में निरीक्षण किया जा चुका है। शुक्रवार को अमनौर और नगरा में टीम ने दौरा किया। शनिवार को टीम के द्वारा दरियापुर प्रखंड के विभिन्न गांवों का निरीक्षण किया जायेगा। टीम में विश्व स्वास्थ्य संगठन के राज्य समन्वयक डॉ. राजेश पांडेय, मुजफ्फरपुर के जोनल समन्वयक डॉ. आरती शर्मा, पूर्णिया के जोनल समन्वयक डॉ. दिलीप कुमार, भागलपुर के जोनल समन्वयक डॉ. शान्तनु, डाटा सहायक विकास कुमार शामिल थे।
हर पीएचसी पर मुफ्त जांच सुविधा उपलब्ध
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने बताया हर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर कालाजार जांच की सुविधा उपलब्ध है। कालाजार की किट (आरके-39) से 10 से 15 मिनट के अंदर टेस्ट हो जाता है। हर सेंटर पर कालाजार के इलाज में विशेष रूप से प्रशिक्षित एमबीबीएस डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी उपलब्ध हैं।
रोगी को श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में दी जाती है राशि
जिला भीबीडीसी कन्सलटेंट प्रतिकेश कुमार ने बताया कालाजार से पीड़ित रोगी को मुख्यमंत्री कालाजार राहत योजना के तहत श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में पैसे भी दिए जाते हैं। बीमार व्यक्ति को 6600 रुपये राज्य सरकार की ओर से और 500 रुपए केंद्र सरकार की ओर से दिए जाते हैं। यह राशि वीएल (ब्लड रिलेटेड) कालाजार में रोगी को प्रदान की जाती है। वहीं आशा को कालाजार के रोगियों को अस्पताल लाने की दिशा में प्रोत्साहन राशि 100 रुपये प्रति मरीज की दर से भुगतान किया जाता है। कालाजार मरीजों को मुख्यमंत्री कालाजार राहत योजना के तहत भुगतान प्रक्रिया को भी सरल बना दिया गया है। अब नये संकल्प के आधार पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर भर्ती होने वाले मरीजों को वहां के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा राशि का भुगतान किया जायेगा।
ऐसे फैलता है रोग
कालाजार लिशमेनिया डोनी नामक रोगाणु के कारण होता है, जो बालू मक्खी काटने से फैलता है। दो सप्ताह से अधिक बुखार व अन्य विपरीत लक्षण शरीर में महसूस होने पर अविलंब जांच कराना अति आवश्यक है। सदर अस्पताल में इलाज का समुचित प्रबंध है. यहां मरीजों का एक ही दिन में इलाज कर दिया जाता है।
कालाजार के लक्षण
- यदि किसी व्यक्ति को दो हफ्ते से ज्यादा से बुखार हो, उसकी तिल्ली और जिगर बढ़ गया हो और उपचार से ठीक न हो तो उसे कालाजार हो सकता है.
- पोस्ट कालाजार डरमल लिश्मैनियासिस (पीकेडीएल) एक त्वचा रोग है, जो कालाजार के बाद होता है। दो हफ्ते से ज्यादा समय से बुखार, खून की कमी (एनिमिया), जिगर और तिल्ली का बढ़ना, भूख नहीं लगना, कमजोरी तथा वजन में कमी होना है.
- सूखी, पतली, परतदार त्वचा तथा बालों का झड़ना भी इसके कुछ लक्षण हैं.
- उपचार में विलंब से हाथ, पैर और पेट की त्वचा भी काली पड़ जाती है.