छपरा

टीबी मरीजों को भी कोविड-19 की तरह मास्क पहनना अनिवार्य: डॉ. अजय

  • टीबी भी है संक्रामक बीमारी, सर्तकता है जरूरी
  • क्षय उन्मूलन से निजात के लिए हो रहा है प्रयास
  • टीबी मरीजों की खोज के लिए चल रहा है विशेष अभियान

छपरा: “अगर लोगों में फेस मास्क को लेकर जागरूकता बनी रहे तो साल 2025 तक भारत से टीबी को खत्म करना बहुत आसान हो जाएगा।” वास्तव में कोरोना वायरस से संक्रमण से बचने के लिए इन दिनों लोग फेस मास्क का प्रयोग कर रहे हैं। फेस मास्क टीबी मरीजों के लिए भी उतना ही जरूरी है, जितना कि एक कोरोना के मरीज को है। उक्त बातें जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी सह प्रभारी टीबी ऑफिसर डॉ. अजय कुमार शर्मा ने कही। उन्होंने कहा कि खांसने व छींकने से टीबी रोग के लक्षण भविष्य में दिखने लगते हैं । इसके लिए पहले भी मास्क लगाना अनिवार्य था, लेकिन कोविड-19 के समय मास्क द्वारा इससे बचाव ज्यादा संभव है। उन्होने कहा कि टीबी के मरीज के खांसने और छींकने के दौरान मुंह-नाक से निकलने वालीं बारीक बूंदें इन्हें फैलाती हैं। फेफड़ों के अलावा दूसरी कोई टीबी एक से दूसरे में नहीं फैलती। फेस मास्क लगे होने की वजह से लोगों में एक-दूसरे से टीबी नहीं फ़ैल सकती। टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो ट्यूबरक्युललोसिस बैक्टीरिया के कारण होती है। इस बीमारी का सबसे अधिक प्रभाव फेफड़े पर पड़ता है। फेफड़ों के अलावा ब्रेन, यूटरस, मुंह, लिवर, किडनी, गले आदि में भी टीबी हो सकती है।

क्षय उन्मूलन से निजात के लिए हो रहा है प्रयास

टीबी के नोडल पदाधिकारी डॉ. अजय कुमार शर्मा ने कहा कि क्षय उन्मूलन से निजात पाने के लिए काफी प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए सरकार द्वारा सरकारी अस्पतालों में छह माह दवा निःशुल्क दी जाती है|, साथ ही साथ क्षय रोग से ग्रसित मरीज को पांच सौ रुरूपये प्रतिमाह सहायता राशि दी जाती है। पौष्टिक आहार द्वारा हम क्षय रोग एवं एड्स से बच सकते हैं। एचआईइवी वायरस द्वारा रोग प्रतिरोधक क्षमता नष्ट होने के बाद प्रकट होने वाले लक्षणों के द्वारा एड्स नामक बीमारी पनपती है। जो व्यक्ति एचआईवी एचआइवी ग्रसित होते हैं, उन्हें समय रहते दवा के द्वारा ठीक किया जा सकता है।

टीबी और कोरोना दोनों से बचाएगा मास्क

खाँसी और छींक से दोनों के फैलने की संभावना रहती का खतरा है। इसलिए हम अगर मास्क लगाते हैं तो वह कोरोना से हमारी रक्षा करने के साथ ही टीबी से भी बचाएगा। दोनों बीमारियों के लक्षण में समानता है। ऐसे में आम जनता के साथ स्वास्थ्यकर्मियों को भी गलतफहमी हो सकती है। इससे बचने के लिए मरीजों की जांच कराते समय सावधानी बरतने की जरूरत है। जिससे लोगों को अलर्ट किया जा सके।

दो हफ्ते से ज्यादा खांसी हो तो टीबी की जांच कराएं

टीबी से बचने के लिए भी लगभग यही तरीके अपनाने की सलाह दी जाती है, जैसे- खांसने या छींकने पर अपने मुंह और नाक को अपनी मुड़ी हुई कोहनी या कपड़े से ढकें, रोग प्रतिरोधक क्षमता बनाये रखने के लिए पोषक आहार का सेवन करें, उचित वायु संचार बनाये रखें और यदि दो हफ्ते से ज्यादा खांसी हो तो टीबी की जांच कराएं।

  • टीबी के लक्षण

    लगातार 3 हफ्तों से खांसी का आना और आगे भी जारी रहना।

  • खांसी के साथ खून का आना।
  • छाती में दर्द और सांस का फूलना।
  • वजन का कम होना और ज्यादा थकान महसूस होना।
  • शाम को बुखार का आना और ठंड लगना।
  • रात में पसीना आना।
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