कोरोना के कहर पर भारी पड़ रहे हैं बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री के चमचे, दाह संस्कार के लिए नहीं मिली एम्बुलेंस तो बाइक से ही शव ले जाने लगे परिजन

  • सुशासन बाबू की सरकार में गरीब तबके के लोग गाय, भैंस, बकरा, बकरी, आदि को बेचकर सरकारी अस्पताल में करा रहे हैं इलाज
  • बिहार के अधिकांश जिलों से नदारद रहते हैं रात्रि में ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक

परवेज अख्तर/न्यूज़ डेस्क रिपोर्टिंग :
जब कोरोना संक्रमण पीड़ित की मौत हो जाए और उसके शव के अंतिम संस्कार के लिए भी अस्पताल प्रशासन द्वारा एम्बुलेंस न उपलब्ध कराएं तो इससे बड़ी मानवता को शर्मसार करने वाली बातें व घोर लापरवाही क्या हो सकती है ? सुशासन बाबू की सरकार भले ही स्वास्थ्य विभाग में काफी सुधार आने की बात कहकर आम जनमानस के बीच जाकर अपनी पीठ थपथपाने की कोशिश करले लेकिन इन दिनों सबसे ज्यादा स्वास्थ्य विभाग हीं चरमरा गया है।हालात तो यह है कि बिहार के अधिकांश सरकारी अस्पतालों में गरीब तबके के लोग अपनी अपनी मवेशियों में क्रमशः गाय, भैंस, बकरा, बकरी,आदि को बेचकर इलाज कराने पर आतुर हैं। कारण यह है कि सरकारी अस्पताल में दवा रहने के बावजूद भी विभिन्न अस्पतालों में तैनात चिकित्सक कमीशन के चक्कर में बाहरी दवा लिख रहे हैं।इसी कारण मजबूरन गरीब तबके के परिजन अपने अपने मवेशियों को बेचकर सरकारी अस्पताल के बेड पर रहते हुए अपने हीं पैसे से इलाज करा रहे हैं।

उनके लिए तो सिर्फ नाम का हीं सरकारी अस्पताल बनकर रह गया है।आम जनमानस का कहना है कि इस कोरोना काल में बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री के चमचे जो बिहार के प्रत्येक सरकारी अस्पताल में प्रतिनियुक्त हैं वे फिलहाल भारी पड़ रहे हैं।सरकारी अस्पताल में तैनात अधिकांश कर्मी का सांठगांठ स्वास्थ्य विभाग के मंत्री के बदौलत आला अधिकारियों तक है।जिसके चलते गरीब तबके के लोगों को उचित इलाज मुहैया नहीं हो पा रहा है।सबसे ज्यादा विकट स्थिति वर्तमान समय में कोरोना काल के दौरान हो रही है।बिहार के सभी जिलों से जो सूचनाएं प्राप्त हो रही है सबसे ज्यादा बदसे बदतर स्थिति सरकारी अस्पतालों की रात्रि के समय में हो रही है अधिकांश जिले के सरकारी अस्पताल भगवान भरोसे चल रहा है।डॉक्टर के रहते हुए रात भर मेल नर्स,कंपाउंडर ड्यूटी कर रहे हैं और ड्यूटी रहने के बावजूद भी चिकित्सक अपने आराम कक्ष में जाकर खूब मजे से आराम फरमा रहे हैं।सूत्रों की माने तो जो रात भर मेल नर्स,कंपाउंडर आदि जो ड्यूटी करते हैं उन्हें ड्यूटी के दौरान गायब चिकित्सक एक बंधी बंधाई मोटी रकम दे देते हैं।

बहरहाल चाहे जो हो उधर पटना में हृदय विदारक एक मामला सामने आया है जहां मरीज की मौत के बाद परिजनों ने शव के दाह संस्कार के लिए अस्पताल प्रबंधक से एंबुलेंस उपलब्ध कराने की मांग की थी लेकिन अस्पताल प्रशासन के द्वारा न तो एंबुलेंस की व्यवस्था कराई गयी और ना ही मर्चरी वाहन की दिया गया।अस्पताल के आस-पास अन्य कोई हॉस्पीटल नहीं होने के कारण परिजन बार-बार गुहार लगा रहे थे लेकिन असफलता हाथ लगी।जिसके बाद परिजनों ने बाइक से ही शव को बांसघाट तक ले जाने का फैसला लिया और इसे लेकर तैयारी भी शुरू कर दी।लेकिन जैसे ही इस बात की सूचना डीएम कंट्रोल रूम को मिली सभी हरकत में आए गए। जिसके बाद आनन फानन में एंबुलेंस की व्यवस्था कर दी गयी। कंट्रोल रूम के अधिकारियों ने बताया कि हॉस्पिटल प्रबंधन ने इस मामले में काफी लापरवाही बरती है।

इस मामले की जांच की जा रही है। गौरतलब है कि पटना के मलाही पकड़ी निवासी 40 वर्षीय पुरुषोत्तम कुमार जो रेलवे में लोको पायलट के पद पर तैनात थे।बुधवार को बुखार और खांसी होने पर उन्हें दीघा-आशियाना रोड स्थित एक प्राइवेट नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया। शनिवार की सुबह डॉक्टरों ने स्थिति को गंभीर बताते हुए पटना AIIMS रेफर कर दिया। लेकिन पटना AIIMS में बेड खाली नहीं होने के कारण उन्हें निराशा हाथ लगी। जिसके बाद परिजनों ने PMCH, NMCH समेत कई अस्पतालों में एडमिट कराने का पूरा प्रयास किया। लेकिन सभी जगहों पर बेड खाली नहीं थे जिसके कारण मरीज को भर्ती करने से मना कर दिया गया। थक हार कर  परिजनों ने बिहटा स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया। जहां शनिवार की दोपहर उनकी हालत गंभीर हो गई और इलाज के दौरान उन्होंने अस्पताल में दम तोड़ दिया।

मरीज की मौत के बाद परिजनों ने स्वास्थ्य विभाग के द्वारा जारी टोल फ्री नंबर 104 और 102 और जिला नियंत्रण कक्ष में फोन किया और मर्चरी वाहन या एम्बुलेंस की मांग की लेकिन जब इसकी व्यवस्था नहीं की गई।तब परिजनों ने शव को बाइक से ले जाने की सूचना देते हुए इसकी तैयारी में भी जुट गये। तभी डीएम कंट्रोल रूम से परिजनों को फोन आया जिसमें यह कहा गया कि एम्बुलेंस की व्यवस्था की जा रही है।लेकिन एंबुलेंस को पहुंचने में काफी देर हो गयी।जिसके बाद परिजन अपने पैसे से एंबुलेंस कर शव को बांस घाट ले गए।

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