गांव पहुंचा घर की गरीबी दूर करने सूडान गए तीन युवकों का पहुंचा शव, अंत्येष्टि संपन्न

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Dead Body

17 दिन बाद घर पहुंचा तीनों युवाओं के शव, गमगीन माहौल में हुई अंत्येष्टि

ढाई लाख रुपए का कर्ज लेकर रोजगार के लिए सूडान गया था अमित

नीरज के परिवार में अब कमाने वाला ही नहीं बचा

परवेज अख्तर/सिवान:- महारागंज के कपिया जागीर निवासी गजेंद्र तिवारी के पुत्र अमित कुमार तिवारी, दरौंदा थाना क्षेत्र के भिखाबांध गांव निवासी नरेंद्र सिंह के पुत्र नीरज कुमार और पचरुखी थाना क्षेत्र के तिलौता रसूलपुर गांव निवासी नीतीश मिश्रा का शव शनिवार देर रात सूडान से गांव पहुंचा जहां तीनों मृतकों का अंतिम संस्कार कर दिया गया. तीनों युवकों का शव पहुंचने पर पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ पड़ी. परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. इसमें तो कई युवकों के घरों में कमाने वाला दूसरा कोई नहीं है तो किसी ने ढाई लाख तक रुपये कर्ज लेकर सूडान गैस फैक्ट्री में नौकरी करके अपने घर की गरीबी दूर करने बीड़ा उठाया था परंतु नियति को कुछ और ही मंजूर था. परिजनों को सरकारी आर्थिक सहायता की जरूरत है. ज्ञात हो कि सूडान में करीब पंद्रह दिन पहले हुए विस्फोट में मारे गए महाराजगंज अनुमडंल के दो युवाओं की रविवार को उनके पैतृक गांवों में अंत्येष्टि की गई. दोनों के ही परिवारों की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर होने से उनके घर वालों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. एक युवक तो दो लाख रुपये का कर्जा लेकर सूडान गया था और अभी कर्ज पूरी तरह नहीं उतर सका है. दोनों ही परिवारों के लोग सदमे में हैं. इनकी उम्र 22 से 24 साल के बीच ही थी, इस तरह की मौत से दोनों ही गांवों में शोक का माहौल छा गया. दरअसल, सूडान की राजधानी खार्तूम में सीला सेरेमिक कारखाने में तीन दिसंबर को एलपीजी टैंकर खाली करते समय आग लगने से हुए विस्फोट में महाराजगंज अनुमडंल के दो लोगों की मौत हो गई थी. हादसे में महाराजगंज के कपियां जागीर निवासी गजेंद्र तिवारी के 24 वर्षीय पुत्र अमित तिवारी तथा दरौंदा प्रखंड के भीखाबांध गांव निवासी नरेंद्र सिंह के 22 वर्षीय पुत्र नीरज कुमार की मौत हो गई थी. 17 दिन बाद शनिवार कि रात सूडान से शव गांव पहुंचे. महाराजगंज शहर के कपिया जागीर निवासी गजेंद्र तिवारी के पुत्र अमित कुमार तिवारी काम धंधा नहीं मिलने और कर्जे से परेशान होकर अप्रैल 2016-17 में एक रिश्तेदार के जरिये सूडान कमाने गया था. वह तीन साल की मुसाफिरी के बाद जून 2020 में देश वापस लौटने वाला था. लेकिन शनिवार की रात कफन में लिपटे शव को देखकर मां-बाप गीता देवी व गजेंद्र तिवारी और बड़ा छोटा भाई ओमकार तिवारी व अन्य परिजन फफक-फफक कर रो पड़े. वे अढाई-पौने तीन वर्ष बाद बेजान होकर लौटे अमित का चेहरा भी नहीं देख सके. सूडान के सेरेमिक कारखाने में 17 दिन पहले हुए एलपीजी टैंक ब्लास्ट में बुरी तरह झुलस जाने के कारण शव को पहचान पाना भी मुश्किल था. बेटे की मौत पर बिलखते मां-बाप को देखकर रविवार कि सुबह अंत्येष्टी में शामिल हुए ग्रामवासी भी भावुक हो गए. उसके पिता गजेंद्र तिवारी के मुताबिक वीजा-टिकट बनवाने के लिए अढाई लाख रुपए ब्याज पर लिए थे. गांव वालों ने बताया कि अमित के परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर है. ऐसे में प्रशासन की ओर से आर्थिक मदद की दरकार है. इधर अनुमडंल के दारौंदा प्रखंड के भीखाबांध निवासी नरेंद्र सिंह के 22 वर्षीय पुत्र नीरज कुमार का शव शनिवार रात गांव पहुंचा तो घर में कोहाराम मच गया. नीरज की मां सुमित्रा ने 24 साल के अपने लाडले का चेहरा देखते ही बेसुध होकर गिर पड़ी. पिता नगेंद्र सिंह व उनकी पुत्री काजला का भी रो-रोकर बुरा हाल हो गया. गांव के ही श्मशान घाट पर नीरज का अंतिम संस्कार किया गया. मां अपने बेटे का आखिरी बार चेहरा देखने के लिए विलाप करती रही.मां पिता और पत्नी की आंख से आंसू रुके नहीं रुक रहे थे.पत्नी अपनी गोद में शव से लिपटकर घंटों रोती रही.नीरज की पत्नी रूबी देवी रो-रोकर यह कहीं जा रही थी अब हमार के सहारा होई.भगवान तू सब लूट लेहल.नीरज की शादी रूबी के साथ 10 माह पूर्व हुई थी. पचरुखी थाना क्षेत्र के तिलौता रसूलपुर गांव निवासी नीतीश मिश्रा की सूडान में विस्फोट होने से मौत हो गई थी. बता दें कि नीतीश घर का एक मात्र कमाई करने वाला युवक था नीतीश की शादी मई महीने में होने वाली थी. सांसद कविता सिंह ने शव लाने के लिए लोकसभा में मांग की थी. स्थानीय मुखिया सोहनराम उर्फ अनिल राम ने मौके पर पहुंच परिवारों वाले को सांत्वना दी हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया. सूडान एलपीजी ब्लास्ट में मारे गए नीतीश मिश्रा का शव पहुँचा ग्रामीणों में शोक की लहर है. स्थानीय मुखिया ने भारत व सूडान की सरकारों से उचित मुआबजे की मांग की और कहा कि इस दुख की घड़ी में वे मर्माहत परिवार के साथ खड़े हैं.

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