मां ने शराबी पुत्र से तंग आकर अदालत से दिलवायी सजा….

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पटना: आरा की एडीजे- चार त्रिभुवन यादव की विशेष एक्साइज अदालत ने आज एक ऐतिहासिक फैसले में शराब पीकर हंगामा करने के आरोप में एक मां द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर के आधार पर चल रहे ट्रायल में उसके ही पुत्र को पांच साल का सश्रम कारावास तथा एक लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनायी है। मामला आरा नगर थाना क्षेत्र के प्रकाश पुरी शीतल टोला मुहल्ले का है।

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इसी वर्ष 10 जून को एक महिला रामावती देवी ने नगर थाना को फोन कर सूचना दी कि उसका पुत्र आदित्य राज उर्फ बिट्टू शराब के नशे में उसके तथा उसके पति के साथ मारपीट कर रहा है। मौके पर पहुंची पुलिस ने बिट्टू को नशे की हालत में हिरासत में लेकर उसकी मेडिकल जांच कराई तथा गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। दर्ज प्राथमिकी में महिला ने आरोप लगाया कि उसके बेटे बिट्टू ने उससे तथा उसके पति से शराब के नशे में गाली-गलौज तथा मारपीट की। साथ ही उनके रुपये भी छीन लिए। मां ने बेटे पर यह भी आरोप लगाया कि उसके बेटे ने नशे की हालत में मारपीट करने के साथ ही उन्हें कमरे में बंद कर दिया था।

एक्साइज के विशेष लोक अभियोजक राजेश कुमार ने बताया कि इस ट्रायल में अभियोजन की तरफ से तीन गवाह प्रस्तुत किए गए जिसमें इस कांड की सूचक तथा अभियुक्त की मां रामावती देवी ने गवाही दी। साथ ही पुलिस की तरफ से मजहर हुसैन तथा कांड की अनुसंधानकर्ता नीता कुमारी ने अपना बयान अदालत के समक्ष दर्ज कराया।

नीतीश कुमार द्वारा जारी शराबबंदी अभियान में अब तक का यह अनोखा मामला है जिसमें एक मां ने अपने बेटे को सही दिशा दिखाने के लिए न सिर्फ अदालत की शरण ली बल्कि उसे सजा दिलाकर समाज के लिए भी एक आदर्श स्थापित किया है। बिहार में अपने तरह का यह पहला ऐसा मामला है जिसमें एक मां ने अपने बेटे को 5 साल की सजा दिलाई है। रामावती देवी ने अपने बेटे की शराब की लत छुड़ाने के लिए उसे चिकित्सकों को भी दिखाया था तथा उसकी दवा करवायी थी। बावजूद इसके बेटे की शराब की लत नहीं छूट सकी। आजिज आकर मां को यह कड़ा फैसला लेना पड़ा।

जब शराबी बेटे के उत्पात से तंग आकर मां ने पुलिस की शरण ली तो उसके बचाव में परिवार का कोई भी सदस्य सामने नहीं आया। यहां तक कि उसके आस-पड़ोस और दोस्तों ने भी कोई मदद नहीं की। नतीजा यह हुआ कि इस मामले में आदित्य उर्फ बिट्टू के लिए कोई अधिवक्ता न्यायालय में नियुक्त नहीं किया जा सका। अंततः अदालत को अभियुक्त की उचित पैरवी के लिए एमिकस क्यूरी को नियुक्त करना पड़ा।