नवजात शिशुओं के जन्म में प्रसव सखी की भूमिका महत्वपूर्ण

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  • एएनएम, आशा या कोई अन्य अनुभवी महिला हो सकती है प्रसव सखी
  • प्रसव पीड़ा के दौरान इनका सहयोग जरूरी
  • सुरक्षित प्रसव कराने में करती है मदद
  • जन्म के बाद शिशु के स्वास्थ्य के लिए करती है सावधान

छपरा: किसी परिवार में बच्चे का जन्म होना पूरे परिवार के लिए खुशी की बात होती है. ऐसे समय में जच्चा-बच्चा की सुरक्षा का बेहतर खयाल रखना बेहद जरूरी है. गर्भवती महिलाओं की मदद घर पर उपस्थित अनुभवी महिला, रिश्तेदार, आशा व एएनएम करती हैं. इसे प्रसव सखी की संज्ञा दी जा सकती है. ऐसी प्रसव सखियां प्रसव के समय माता की सुरक्षा का न केवल ध्यान रखती है बल्कि प्रसव पीड़ा और शिशु जन्म का अनुभव कर रही महिला का लगातार हौसला भी बढ़ाती है. प्रसव के लिए लोगों को अस्पताल में ही आना चाहिए. यहां उन्हें हर तरह की सुविधाओं का लाभ मिल सकेगा. सुरक्षित प्रसव के होने से गर्भवती महिला व नवजात शिशु का स्वास्थ्य बेहतर हो सकेगा।

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सुरक्षित प्रसव में मदद करते हैं प्रसव सखी

सुरक्षित प्रसव कराने में प्रसव सखी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. प्रसव सखी के रूप में गर्भवती महिला की कोई अनुभवी महिला रिश्तेदार, उस क्षेत्र की आशा, आंगनवाड़ी सेविका या एएनएम हो सकती हैं. इन लोगों की मदद से गर्भवती महिला अपना ख्याल बेहतर रख सकती है.

इन बातों का ध्यान रखती हैं प्रसव सखी

  • प्रसव पीड़ा की प्रगति की जानकारी देने में
  • नियमित शौचालय के लिए मदद करने में
  • गहरी सांस लेने के लिए प्रोत्साहित करने में
  • आरामदायक स्थिति में लाने और करवट बदलने के लिए मदद करने में
  • प्रसव से पूर्व पर्याप्त तरल पदार्थ देने में
  • थोड़ी-थोड़ी देर में उन्हें टहलने में मदद करने में
  • दिलासा देने और आश्वस्त करने में

जानकारी देने के साथ ही समस्याओं का रखती है ध्यान

सदर अस्पताल के प्रसव कक्ष इंचार्ज जागृति कुमारी ने बताया कि संस्थागत प्रसव गर्भवती महिला और होने वाले शिशु दोनों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है. इसमें प्रसव सखी की भूमिका महत्वपूर्ण है. उनके द्वारा ही गर्भवती महिला को समय पर सही जानकारी देने के साथ होने वाली समस्याओं पर ध्यान रखा जाता है. प्रसव के समय गर्भवती महिला को बहुत सी परेशानी होती है जैसे गंभीर पेट दर्द, देखने में परेशानी, अत्यधिक सरदर्द, योनि से रक्तस्राव की मात्रा में वृद्धि, सांस लेने में दिक्कत, झटके आना या दौरे पड़ना, पेशाब करने में परेशानी, दुर्गंध युक्त योनि स्राव एवं बुखार या ठंड लगना आदि. इनसब से उबरने के लिए प्रसव के समय किसी परिचित महिला का गर्भवती के साथ होना जरूरी है.

प्रसव हमेशा अस्पताल में ही करानी चाहिए

केयर इंडिया प्रखंड प्रबन्धक अमितेश कुमार ने बताया महिलाओं की प्रसव हमेशा अस्पताल में ही करानी चाहिए. वहां हर तरह की सुविधा उपलब्ध होती है जो इन परिस्थितियों से निपटने के लिए जरूरी है. सुरक्षित प्रसव के होने से ही जच्चा व बच्चा दोनों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है. इसलिए लोगों को प्रसव के समय इन बातों पर ध्यान रखना चाहिए.

जन्म के बाद भी शिशु पर ध्यान रखने में करती है मदद

केयर इंडिया प्रखंड प्रबन्धक अमितेश कुमार ने बताया कि जन्म के बाद भी नवजात शिशुओं पर ध्यान रखना जरूरी होता है. इसमें भी माता को मदद की जरूरत होती है जिसमें प्रसव सखी मदद कर सकती है. प्रसव सखी पहले से अनुभवी होती है इसलिए नवजात शिशु को जन्म के बाद होने वाले बीमारियों के लक्षण आसानी से समझ सकती है. उसे समय पर आगाह करते हुए चिकित्सक से संपर्क करने की सलाह देने में मदद कर सकती है. इसके अलावा जन्म के बाद जल्दी स्तनपान कराने में, स्तनपान सम्बंधित अफवाहों से उबरने आदि में भी प्रसव सखी मदद करती है.