इस यूनिवर्सिटी के पॉलिटिकल साइंस सिलेबस से हटे जेपी और लोहिया के विचार, आंदोलन के मूड में छात्र संगठन

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पटना: बिहार के विश्वविद्यालयों में शामिल सारण स्थित जयप्रकाश विश्वविद्यालय (जेपी विवि) की नींव जिस शख्सियत के नाम पर पड़ी उसी जयप्रकाश नारायण (जेपी) के विचारों को राजनीति विज्ञान के पीजी सिलेबस से हटा दिया गया। राममोहर लोहिया, दयानंद सरस्वती, राजाराम मोहन राय, बाल गंगाधर तिलक, एमएन राय जैसे महापुरुषों के विचार भी अब सिलेबस में छात्र नहीं पढ़ सकेंगे।

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नए सिलेबस में पंडित दीनदयाल उपाध्याय, सुभाष चंद्र बोस और ज्योतिबा फुले का नाम शामिल किया गया है। सारण के छात्रों और प्रबुद्ध संगठनों में रोष व्याप्त है कि लोकनायक के नाम पर ही उनका विवि स्थापित है पर पीजी राजनीति विज्ञान के चैप्टर से वे गायब हैं। अन्ना हजारे, दलित आंदोलन के साथ जेपी आंदोलन को जोड़ा जरूर गया है, लेकिन प्रेरणादायी विचार इसमें शामिल नहीं होगा।

चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम लागू होने से हुआ बदलाव

विश्वविद्यालय के स्थापना काल से ही लोहिया और जेपी समेत कई महापुरुषों की जीवनी विद्यार्थी पढ़ते आ रहे हैं, लेकिन सत्र 2018-20 से चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) लागू होने के बाद सिलेबस में बदलाव किया गया है। राजभवन के संबंधित विषयों के एक्सपर्ट शिक्षकों की टीम द्वारा सीबीसीएस का सिलेबस तैयार कर विश्वविद्यालयों में भेजा गया है। विभिन्न विश्वविद्यालयों में आंशिक संशोधन करते हुए सिलेबस को लागू कर दिया गया।

पीजी सिलेबस के पेपर वन में पढ़ना था विचार

नये सिलेबस में विद्यार्थियों को जेपी के आंदोलन को तो पढ़ना है लेकिन उनके विचार को नहीं। दरअसल जेपी विवि के पीजी के सिलेबस में पेपर एक में इंडियन पॉलिटिकल थॉट्स के तहत जेपी के विचार व आंदोलन को रखा गया था। लेकिन सीबीसीएस लागू होने के बाद नये सिलेबस में इंडियन पॉलिटिकल थॉट्स सेमेस्टर दो का आठवां पेपर हो गया है और इसमें जेपी नहीं हैं।

दूसरी ओर नये सिलेबस के ही सेमेस्टर तीन में पॉलिटिकल एंड सोशल मूवमेंट चैप्टर के तहत जेपी मूवमेंट, अन्ना हजारे मूवमेंट और आइडेंटिटी मूवमेंट को पढ़ा जाना है। इस लिहाज से कहा जा सकता है कि जेपी की धरती से ही जेपी के विचारों को छात्र आत्मसात नहीं कर आंदोलन मात्र से ही परिचित होंगे।

10 फीसदी सिलेबस में संशोधन का विवि को है अधिकार

जयप्रकाश विश्वविद्यालय में विश्वविद्यालय की सिलेबस कमेटी ने राजभवन से आए सिलेबस को हूबहू लागू कर दिया, जबकि विश्वविद्यालयों की सिलेबस कमेटी को 10 फीसदी तक संशोधन का अधिकार प्राप्त है। विभिन्न विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान के एक्सपर्ट टीचर में से कुछ लोगों को सिलेबस कमेटी में रखा जाता है। उन्हीं लोगों द्वारा सिलेबस तैयार किया गया है।

मालूम हो कि जयप्रकाश विश्वविद्यालय में स्थापना काल से ही एक ही सिलेबस लागू है। किसी प्रकार का बदलाव नहीं हुआ था, लेकिन सीबीसीएस आने के बाद सिलेबस में एक बड़ा बदलाव हुआ। इसके कारण लोगों में आक्रोश है।

आंदोलन के मूड में छात्र संगठन

एसएफआई छात्र संगठन ने इसको लेकर विरोध दर्ज किया है। संगठन के राज्य अध्यक्ष शैलेंद्र यादव के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने भी इसकी शिकायत रजिस्ट्रार से की है। एसएफआई ने कहा कि हटाए गए महापुरुषों की जीवनी को सिलेबस में अगर शामिल नहीं किया गया तो एक बड़ा आंदोलन होगा।

जेपी विवि रजिस्ट्रार डॉ. आरपी बबलू ने कहा, ‘एसएफआई के विद्यार्थियों ने इस मामले को संज्ञान में दिया है। यह अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। जिनके नाम पर विश्वविद्यालय है, उनके बारे में ही बच्चे नहीं पढ़ें, उचित नहीं। पंडित दीनदयाल जी को भी पहले उपेक्षित रखा गया, यह भी सही नहीं था। उनका नाम जुड़ना सही है लेकिन जेपी का नाम हटाना उचित नहीं। अविलंब इस मामले में कार्रवाई होगी।’