डॉ.राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल हुए उपराष्ट्रपति, 6 छात्र-छात्राओं को गोल्ड मेडल से किया सम्मानित

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पटना: डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के पिपरा कोठी (पूर्वी चंपारण) के परिसर में आयोजित द्वितीय दीक्षांत समारोह में उपराष्ट्रपति एम0 वेंकैया नायडू, राज्यपाल फागू चौहान और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शामिल हुए। कार्यक्रम के पूर्व परिसर में स्थापित पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उपराष्ट्रपति एम0 वेंकैया नायडू, राज्यपाल फागू चौहान और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने श्रद्धांजलि दी। उपराष्ट्रपति एम0 वेंकैया नायडू ने रिमोट के माध्यम से दीन दयाल उपाध्याय उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय, पिपरा कोठी प्रशासनिक भवन, गंडकी महिला छात्रावास, पंडित राजकुमार शुक्ल छात्रावास एवं स्वदेशी गौ नस्ल का क्षेत्रीय उत्कृष्टता केंद्र का उद्घाट्न किया। वहीँ उपराष्ट्रपति ने दीक्षांत समारोह में 6 छात्र-छात्राओं अभिनव प्रकाश, राजेश कुमार,चांदनी कुमारी, स्मिता शर्मा, कोमल कीर्ति एवं आशुतोष कुमार को स्वर्ण पदक एवं उपाधि प्रदान किया। उपराष्ट्रपति ने कार्यक्रम के दौरान एक पुस्तिका का भी विमोचन किया। उपराष्ट्रपति एम0 वेंकैया नायडू ने दीक्षांत समारोह को संबोधित किया।

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वहीँ दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि आज डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह के आयोजन के लिए आप सभी लोगों को बधाई देता हूं और उपराष्ट्रपति का समारोह में स्वागत करता हूं। सभी उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं को बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं एवं गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को विशेषतौर पर बधाई देता हूं और सभी के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं। उन्होंने कहा कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना वर्ष 2016 में हुई थी। वर्ष 2018 में प्रथम दीक्षांत समारोह का आयोजन पूसा में हुआ था। उसमें राष्ट्रपति के साथ मैं भी शामिल हुआ था।मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना वर्ष 1970 में हुई थी। अमरीका के प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक हेनरी फिप्स ने एग्रीकल्चर रिसर्च संस्थान की स्थापना की थी।

फिप्स ऑफ यू0एस0ए0 के नाम पर ही पूसा का नामकरण हुआ। वर्ष 1934 में भूकंप आने के बाद यह संस्थान दिल्ली चला गया और वहां भी उसका नाम पूसा ही रखा गया। वर्ष 1970 में डॉ. राजेंद्र प्रसाद के नाम पर राज्य सरकार ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना की। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2007-08 में डॉ. राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय को केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय बनाने की हमलोगों ने पहल की। उस समय के महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिसर, नई दिल्ली के मंगला राय से इस पर विचार विमर्श हुआ। हमलोगों ने उस समय भी प्रधानमंत्री को इस संबंध में पत्र लिखा था। उस समय की सरकार ने केंद्रीय विवि बनाने के लिए कई शर्तों रखीं, जिसे हमलोगों ने स्वीकार किया और अंततोगत्वा वर्ष 2016 में डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना हुई।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2005 में जब से काम करने का मौका मिला है कृषि के क्षेत्र में हमलोगों ने कई कार्य किए हैं। वर्ष 2010 में कृषि विवि, सबौर की स्थापना की। वर्ष 2016 में पशु विज्ञान विवि की स्थापना की। वर्ष 2008 में पहला कृषि रोडमैप, 2012 में दूसरा कृषि रोडमैप और वर्ष 2017 में तीसरा कृषि रोडमैप बनाया गया। कृषि रोडमैप के आधार पर कृषि के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कार्य किए गए। धान, गेहूं और मक्का की उत्पादकता भी दोगुनी हुई। सब्जी और फल का भी उत्पादन काफी बढ़ा। वर्ष 2012 से कृषि एवं उससे संबद्ध इंस्टीच्यूट में पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं को 2000 रुपया प्रतिमाह की दर से मदद दी जा रही है। जबकि 6000 रुपए वार्षिक पुस्तक आदि खर्च के लिए दिया जा रहा है। सभी छात्र-छात्राओं को हमलोग इसी तरह से सहयोग करते रहेंगे। हमलोगों की इच्छा है कि कृषि के क्षेत्र में वे पढ़ें और बढ़ें यह देश और राज्य के हित में है। बिहार में करीब 76 प्रतिशत आबादी की निर्भरता कृषि पर है। देश में आबादी के दृष्टिकोण से तीसरे स्थान पर और क्षेत्रफल के दृष्टि 12 वें स्थान पर है। आबादी नियंत्रण के लिए हमलोग महिलाओं को शिक्षित कर रहे हैं। महिलाओं के शिक्षित होने से प्रजनन दर घटेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हम केंद्र में कृषि मंत्री थे तो दुनिया के महान वैज्ञानिक और हरित क्रांति के जनक डॉ.नारमन बरलॉग को वर्ष 2001 में पूसा ले गए थे। पूसा में ही बॉरलॉग इंस्टीच्यूट की एक शाखा स्थापित किया गया। वर्ष 2016 में हम वहां गए थे, जहां मौसम के अनुकूल किए जा रहे कृषि कार्य को देखा था। बाद में हमलोगों ने जल-जीवन-हरियाली अभियान की शुरुआत की। मौसम के अनुकूल कृषि की शुरुआत हमलोगों ने 8 जिलों से किया और बाद में इसे सभी 38 जिलों में लागू किया गया। 11 जिलों में डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय मौसम के अनुकूल कृषि की देखरेख कर रहा है। फसल अवशेष प्रबंधन के लिए भी हमलोग कृषकों की सहायता कर रहे हैं। पुआल नहीं जलाने के लिए हमलोग उन्हें प्रेरित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिहार को 5 कृषि कर्मण पुरस्कार मिला है। हमलोग कृषि के कार्य को और आगे बढ़ाते रहेंगे। दीन दयाल उपाध्याय उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय की स्थापना हुई है और आज कई चीजों का उद्घाटन भी हुआ है। उन्होंने कहा कि इस विवि के अंतर्गत ज्यादा से ज्यादा कॉलेज खुले। सारण, औरंगाबाद और मधुबनी में कॉलेज के लिए हमलोगों ने जमीन भी उपलब्ध करा दी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में जब हम केंद्रीय कृषि मंत्री थे, उस समय वर्ष 2000 में एग्रीकल्चर पॉलिसी लायी गई। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण कार्य किए गए और अब प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश और राज्य विकास कर रहा है।

समारोह में उपमुख्यमंत्री रेणु देवी, राज्य सरकार के कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह, गन्ना उद्योग एवं विधि मंत्री प्रमोद कुमार, सांसद एवं पूर्व केंद्रीय कृषि एवं कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह, अन्य जनप्रतिनिधिगण, सचिव कृषि, शिक्षा एवं अनुसंधान एवं महानिदेशक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली त्रिलोचन महापात्र, डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो0 प्रफुल्ल कुमार मिश्र, डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति रमेश चंद्र श्रीवास्तव, डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुल सचिव डॉ. प्रेम प्रकाश श्रीवास्तव, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार, कृषि विभाग के सचिव एन0सरवन कुमार, आयुक्त तिरहुत प्रमंडल मिहिर कुमार, पुलिस उपमहानिरीक्षक, चंपारण प्रक्षेत्र रविंद्र कुमार, जिलाधिकारी पूर्वी चंपारण कपिल शीर्षत अशोक, वरीय पुलिस अधीक्षक नवीन चंद्र झा सहित अन्य पदाधिकारीगण, शिक्षकगण, अभिभावकगण, गणमान्य व्यक्ति एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।