विश्व नर्स दिवस: यूपी-बिहार के बॉर्डर पर कोरोना से जंग लड़ रही है एएनएम नीतू

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  • 2 माह से अपने बच्चे से नहीं मिल सकी हैं नीतू
  • अपने दादी के साथ घर पर रह रहा है 2 साल का मासूम
  • एएनएम नीतू देवी मजबूत हौसलों से लड़ रही है कोरोना से जंग

गोपालगंज:- वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में डॉक्टर, नर्स, सफाई कर्मी के साथ साथ हर कोई लड़ाई लड़ रहा है। कुछ ऐसे भी कोरोना योद्धा है जो अपने परिवार की चिंता-फिक्र छोड़ देश व समाज की सेवा में दिन रात लगी हुई है। अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के अवसर पर एक ऐसे ही समर्पित एनएनएम को याद करने की बारी है जो विगत 2 महीनों से अपने 2 वर्षीय बच्चे से दूर होकर कोरोना वायरस के खिलाफ जंग लड़ रही है। गोपालगंज जिले के यूपी बिहार के सीमा पर स्थित बलथरी चेक पोस्ट पर तैनात एएनएम नीतू देवी करीब 2 महीनों से अपने घर नहीं गई हैं। दिन रात मेहनत कर देश व समाज के लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रही है। बलथरी चेक पोस्ट पर दूसरे राज्यों से आने वाले प्रवासी मजदूरों का वे स्क्रीनिंग का कार्य कर रही है तथा स्क्रीनिंग करने के बाद प्रवासियों के हाथ पर मुहर लगाती है। एएनएम नीतू देवी का एक 2 वर्ष का छोटा बच्चा भी है जो अपने दादी के साथ अकेले घर पर रहता है। एक तरफ गर्मी बढ़ती जा रही है, ऊपर से इन महिलाओं को पीपीई किट पहननना पड़ता है। सिर से पांव तक ढकने वाला यह किट घुटन पैदा करता है। लेकिन फिर भी वे अपनी ड्यूटी पूरी शिद्दत के साथ किये जा रही है। इस साल विश्व नर्स दिवस की थीम ‘‘‘नर्स: स्वास्थ्य के लिए विश्व का नेतृत्व करने की एक आवाज’’ रखी गयी है। आधुनिक नर्सिंग की जनक फ्लोरेंस नाईटेंगल की याद में विश्व भर में इस दिवस को प्रत्येक साल मनाया जाता है।

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व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल कर करती है बात

एएनएम नीतू देवी कहती है, करोना वायरस की वजह से 2 माह से अपने घर नहीं गई हैं और वे अपने 2 वर्षीय जिगर के टुकड़े को गले लगाने को तरस रही हैं। हालांकि टेक्नोलॉजी के इस दुनिया में वह अपने बच्चे को चेहरे देख पा रही हैं । व्हाट्सएप के माध्यम से वीडियो कॉल करके अपने बच्चे से बात कर अपने दिल को दिलासा देती हैं। हालांकि वो मासूम बच्चा बार-बार अपनी मां से मिलने का जिद करता है तब उसकी दादी मां उसे कहानी सुना कर उसे मना लेती हैं।

बेटा कहता है- मां आप जानबूझकर नहीं आतीं, क्या करूं- सबको बचाना है

राजधानी पटना की रहने वाली है एएनएम नीतू देवी कहती है अपने परिवार की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उनसे दूर रह रही हैं। बेटा अभी छोटा है लेकिन उसे संक्रमण जैसा कोई खतरा न हो, इसलिए दो महीने से उसके पास नहीं गई। कई बार वह कहता है, ‘मां आप जानबूझ कर एेसा कर रही हैं।’ यह सुनकर मन तो बहुत करता है लेकिन समाज के साथ-साथ उसे भी संक्रमण से बचाना मेरी जिम्मेदारी है। बच्चे से बात करते समय उनके आंखों से आंसू भी आने लगते हैं फिर अपने कर्तव्य के प्रति समर्पण भाव से इस जंग में फिर से जुट जाती हैं।

14 घंटे करती है ड्यूटी

एएनएम नीतू देवी का कहना है कि वह सप्ताह में 3 दिन नाइट ड्यूटी भी करती है और अन्य दिन डे ड्यूटी करती है। डे ड्यूटी तो आसानी से हो जाती है लेकिन नाइट ड्यूटी करना बहुत मुश्किल होता है। जिस दिन नाइट में ड्यूटी होता है। उस दिन करीब 14 घंटे काम करना पड़ता है। वह कहती हैं 2 माह में कई बार उनकी तबीयत भी खराब हुई है, लेकिन फिर भी करोना वायरस के लड़ाई में जंग को जारी रखा और पूरे समाज व देश को इस खतरनाक वायरस से बचाने के लिए अपने कर्तव्यों का बखूबी निर्वहन कर रही है।