सुशासन सरकार की व्यवस्था: सीवान के सदर अस्पताल परिसर में बनाए गए May i help you के केबिन में बैठकर खिलखिला रहे थे कर्मचारी और पेट के दर्द से छटपटाते रहे रोगी

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  • रात में रेफरल सेंटर बन जाता है सदर अस्पताल
  • हर वार्ड में मरीज दिखे लेकिन चिकित्सक थे नदारद

✍️परवेज अख्तर/एडिटर इन चीफ:
सदर अस्पताल में इलाज कराने आए मरीज और उनके अभिभावकों के लिए विभाग ने में आई हेल्प यू डेस्क केंद्र खोला गया है,ताकि अस्पताल के सभी तरह की जानकारी के साथ मरीज और उसके अभिभावकों को विभिन्न रोगों से संबंधित विभाग और डाक्टर की तलाश में इधर-उधर ना भटकना ना पड़े, लेकिन दुर्भाग्य इस केंद्र पर रात्रि में ना तो कर्मी ही मौजूद रहते हैं और ना ही चिकित्सक। देर रात अस्पताल में आने वाले मरीज के अभिभावक संबंधित विभाग के डाक्टर के यहां पहुंचने के लिए पूरे अस्पताल का चक्कर लगाते हैं, तब जाकर चिकित्सक या कर्मी की जानकारी उपलब्ध हो पाती है। यही स्थिति मंगलवार की रात भी सदर अस्पताल में पाई गई। टीम सदर अस्पताल में चिकित्सीय व्यवस्था को देखने पहुंची। यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था देखकर टीम दंग रह गई।लगभग हर वार्ड में मरीज दिखे लेकिन चिकित्सक ही नदारद थेे।

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समय-रात, 9: 05 मिनट, पुरुष वार्ड और इमरजेंसी

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टीम आई हेल्प यू डेस्क से निकलकर पुरुष वार्ड पहुंची। समय 9:05 बज चुके थे।यहां 13 मरीज बेड पर थे। किसी को पेट दर्द की समस्या थी तो कुछ को श्वांस की। वार्ड में मरीज दर्द से कराह रहा था,लेकिन उसे देखने वाला कोई नहीं।ऐसे में काफी देर के बाद एक नर्स पहुंची और मरीज की परेशानी से रूबरू हुई। मरीजों का कहना था कि यहां मरीजों को देखने वाला कोई नहीं है। सब कुछ भगवान भरोसे है।

कुछ ऐसा ही हाल इमरजेंस वार्ड में दिखा

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टीम पुरुष वार्ड से निकलकर इमरजेंसी वार्ड पहुंची। समय 9.15 बज चुके थे। यहां छह बेड पर मरीज थे। सदर अस्पताल में ठंड में मरीजों की जान पर आफत है। कड़ाके की सर्द में उन्हें कंबल तक नसीब नहीं थी। मरीज के स्वजन अपने-अपने घर से कंबल लेकर आए थे।

समय-रात, 9.20 बजे, एसएनसीयू एवं महिला वार्ड

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अस्पताल के दूसरे वार्डों का जायजा लेने के बाद घड़ी का कांटा भी 9:20 पर पहुंच गया था।अब टीम एसएनसीयू पहुंची। यहां पांच नवजात का इलाज चल रहा था।बच्चे के स्वजन भी एसएनसीयू के बाहर मौजूद थे।स्वजनों का कहना था कि चिकित्सक कभी-कभार ही पहुंचते हैं। ज्यादा गंभीर होने पर फोन करके बुलाया जाता है।यही हाल महिला वार्ड में भी था,सभी महिला मरीज अपने बेड पर थीं।

परिसर में था अलाव का इंतजाम

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सदर अस्पताल परिसर में दो जगहों पर अलाव का इंतजाम किया था। जिसका लाभ इलाजरत मरीजों के स्वजन ले रहे थे।

रात में रेफरल सेंटर बन जाता है सदर अस्पताल

सदर अस्पताल रात के समय केवल रेफरल सेंटर की भूमिका निभा रहा है। रात में यहां पर मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद रेफर कर दिया जाता है। इसकी वजह से ग्रामीण इलाकों से आने वाले मरीजों को बड़ी कठिनाई आती है। दैनिक जागरण के रिपोर्टर ने मंगलवार की रात यहां के हालात जानने का प्रयास किया तो यह बात सामने आई कि यहां चिकित्सक तो उपलब्ध होते हैं लेकिन सुविधाओं के अभाव में मरीज पटना रेफर कर दिए जाते हैं।