मुजफ्फरपुर आंखफोड़वा कांड में हाईकोर्ट ने सिविल सर्जन के जवाब पर जताई नाराजगी, स्वास्थ्य विभाग के ACS को दिये ये आदेश

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पटना: पटना हाई कोर्ट ने मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन में कई व्यक्तियों की आंख की रौशनी खो जाने के मामले में मुजफ्फरपुर सिविल सर्जन द्वारा दायर जवाबी हलफनामा पर असंतोष जताया। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने मुकेश कुमार की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए स्वास्थ्य विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी को विस्तृत हलफनामा दायर करने का आदेश दिया है।

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इस याचिका में हाई लेवल कमेटी से जांच करवाने को लेकर आदेश देने अनुरोध किया गया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि कथित तौर पर आई हॉस्पिटल के प्रबंधन व राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा बरती गई अनियमितता और गैर कानूनी कार्यों की वजह से कई व्यक्तियों को अपने खोना पड़ा।

याचिका में यह कहा गया है कि राज्य सरकार के अधिकारियों को भी एक नियमित अंतराल पर अस्पताल का निरीक्षण करना चाहिए था। याचिका में आगे यह भी कहा गया है कि जिम्मेदार अधिकारियों व अस्पताल प्रबंधन के विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज करनी चाहिए, क्योंकि इन्हीं की लापरवाही की वजह से सैकड़ों लोगों को अपनी आंख गंवानी पड़ी। अस्पताल प्रबंधन व जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही की वजह से आंख खोए व्यक्तियों को मुआवजा देने का भी आग्रह किया गया है।

पीड़ितों को सरकारी अस्पताल में उचित इलाज करवाने को लेकर आदेश देने का भी आग्रह किया गया है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विजय कुमार सिंह ने बताया कि उक्त अस्पताल को राज्य सरकार व केंद्र सरकार से आर्थिक मदद भी मिली है। 22 नवंबर से 27 नवंबर, 2021 के बीच 330 व्यक्तियों का कैटरेक्ट ऑपरेशन किया गया था। इस मामले पर अगली सुनवाई आगामी 25 फरवरी,2022 को की जाएगी।