सिवान: घर-घर चलेगा कालाज़ार रोगी खोज अभियान, आशा कार्यकर्ताओ को मिली जिम्मेदारी

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  • कालाजार प्रभावित गांवों में 20 जून से डोर टू डोर भ्रमण कर कालाजार मरीज़ों की होगी खोज
  • कालाजार मरीज़ों को जड़ से ख़त्म करने में ग्रामीण चिकित्सकों की महत्वपूर्ण भूमिका
  • 15 दिनों से अधिक बुखार का होना कालाजार के लक्षण

परवेज अख्तर/सिवान: जिले में सात दिवसीय कालाजार मरीज़ों की खोज अभियान का शुभारंभ आगामी 20 जून से शुरू होने वाला है. इस अभियान में विशेष रूप से आशा कार्यकर्ता डोर-टू-डोर भ्रमण कर कालाजार के संभावित मरीजों की खोज करेंगी. क्षेत्र भ्रमण के दौरान आशा कार्यकर्ता 15 दिन या इससे अधिक समय से बुखार पीड़ित वैसे मरीज जिनका बुखार मलेरिया व एंटीबायोटिक दवाओं के सेवन के बावजूद ठीक नहीं हुआ हो वैसे लोगों को कालाजार बीमारी से संबंधित जांच के लिए प्रेरित करने का काम करेंगी. वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अपर निदेशक सह एसपीओ डॉ अशोक कुमार ने पत्र जारी कर जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी को आवश्यक दिशा-निर्देश दिया है.

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कालाजार प्रभावित गांवों में आगामी 20 जून से डोर टू डोर भ्रमण कर मरीज़ों की खोज होनी है. जिसके लिए आशा कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण से लेकर अभियान के सफल संचालन तक का गाइडलाइन जारी किया गया है. जिसमें प्रचार-प्रसार के लिए माइकिंग, बैनर पोस्टर के अलावा फ्लैक्स के संबंध में दिशा निर्देश दिया गया है. कालाजार लक्षण वाले मरीजों की सरकारी अस्पतालों में आरके-39 किट के द्वारा जांच की जाएगी. वहीं जिन लोगों का पूर्व में कालाजार का इलाज हो चुका हो या उनमें बुखार के साथ कालाजार के लक्षण दिखाई पड़े तो उनकी बोन मैरो व स्पीलिन एस्पिरेशन जांच के लिए सदर अस्पताल में रेफर किया जाएगा.

कालाजार को जड़ से ख़त्म करने में ग्रामीण चिकित्सकों की महत्वपूर्ण भूमिका:

डीएमओ डॉ एमआर रंजन ने बताया कि कालाजार रोग को पूर्णतः खत्म करने को लेकर विभागीय स्तर से लगातार प्रयास किया जा रहा है. जिसके लिए ग्रामीण चिकित्सकों द्वारा संभावित मरीजों को जांच के लिए सरकारी अस्पताल भेजे जाने एवं व्यक्ति में रोग की पुष्टि होने पर उन्हें प्रोत्साहन राशि के रूप में 500 रुपये देने का प्रावधान है. क्योंकि कालाजार उन्मूलन में ग्रामीण इलाकों में कार्य करने वाले ग्रामीण चिकित्सकों की भूमिका काफ़ी महत्वपूर्ण हो जाती है. आगे उन्होंने यह भी बताया कि कालाजार मरीजों के इलाज की सुविधा जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क उपलब्ध है. मरीजों को सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने पर श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में सरकार द्वारा 7100 रुपये की राशि दी जाती है. पोस्ट कालाजार डर्मल लीशमैनियासिस (पीकेडीएल) के मरीजों को पूर्ण उपचार के बाद सरकार द्वारा 4000 रुपये श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में दिया जाता है.

15 दिनों से अधिक बुखार का होना कालाजार के लक्षण:

15 दिनों से अधिक समय तक बुखार का होना कालाजार का लक्षण हो सकता है. इसके साथ ही भूख की कमी एवं पेट का आकार बड़ा होना कालाजार के लक्षण हो सकते हैं. हालांकि जिन्हें बुखार नहीं हो लेकिन उनके शरीर की त्वचा पर सफेद दाग या गांठ बनना पोस्ट कालाजार डर्मल लीशमैनियासिस (पीकेडीएल) के लक्षण हो सकते हैं. इसलिए कालाजार से ठीक हो चुके मरीजों को भी अनिवार्य रूप से जांच करानी चाहिए. समय रहते जांच नहीं करायी गयी तो भविष्य में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. पोस्ट कालाजार डर्मल लीशमैनियासिस के प्रभाव से बचाने में मरीज़ों के साथ ही स्वास्थ्य विभाग को सजग रहने की आवश्यकता होती है.