सिवान: मां लक्ष्मी का प्राकट्य दिवस शरद पूर्णिम शनिवार को, बन रहे चार शुभ संयोग

0

परवेज अख्तर/सिवान: शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। शरद पूर्णिमा के दिन ही मां लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था इसलिए धन की देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए यह तिथि सबसे खास होती है। साथ ही शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होते हैं और अमृत की वर्षा करते हैं। इसलिए इस दिन चंद्र देव की पूजा करना भी बेहद फलदायी माना जाता है। आंदर के पड़ेजी निवासी आचार्य पंडित उमाशंकर पांडेय ने बताया कि इस बार शरद पूर्णिमा पर कई ऐसे शुभ योग बन रहे हैं, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ गया है। साथ ही इस दिन शुभ मुहूर्त में विधि विधान से लक्ष्मी जी की पूजा करना खूब सुख-समृद्धि देगा। आचार्य ने बताया कि इसबार शरद पूर्णिमा पर चार शुभ योग यथा गजकेसरी, बुधादित्य, सौभग्य व योग सिद्धि का संयोग बन रहा है। इन योगों को बेहद शुभ माना गया है।

विज्ञापन
pervej akhtar siwan online
WhatsApp Image 2023-10-11 at 9.50.09 PM
WhatsApp Image 2023-10-30 at 10.35.50 AM
WhatsApp Image 2023-10-30 at 10.35.51 AM
ahmadali

शरद पूर्णिमा पर रहेगा चंद्र ग्रहण :

साल का अंतिम चंद्रग्रहण शरद पूर्णिमा की रात ही लग रहा है। चंद्रग्रहण दिखाई देने के कारण इसका सूतक काल भी मान्य होगा। बता दें कि चंद्र ग्रहण लगने से 9 घंटे पहले ही सूतक काल लग जाएगा। इस तरह शनिवार को 4 बजकर 05 मिनट से ही सूतक काल लग जाएगा। लिहाजा इससे पहले ही पूजा कर लेना बेहतर रहेगा। भारतीय समयानुसार साल के इस आखिरी चंद्रग्रहण की शुरुआत शनिवार को मध्य रात्रि एक बजकर पांच मिनट से होगी, जो मध्य रात्रि दो बजकर 24 मिनट पर खत्म होगी। यह चंद्र ग्रहण अश्विनी नक्षत्र और मेष राशि में हो रहा है। इसलिए इस नक्षत्र व राशि में जन्मे व्यक्तियों के लिए विशेष अशुभ फलदाता और कष्टकारक होगा।

विष्णु सहस्त्रत्नाम का करना चाहिए पाठ :

शरद पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठक स्नान आदि के बाद साफ-सुथरा वस्त्र धारण कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद चौकी पर पीला या लाल कपड़ा बिछाकर भगवान सत्यनारायण की तस्वीर स्थापित कर उसपर पीला फूल,पीला वस्त्र, पीला फल, जनेऊ, सुपारी, हल्दी अर्पित करनी चाहिए। इस दिन भोग में भगवान को तुलसी डालकर ही अर्पित करनी चाहिए। साथ ही विष्णु सहस्त्रत्नाम का पाठ करना चाहिए। आचार्य ने बताया कि इस दिन विशेष रुप से पूजा अर्चना व आनुष्ठान करने पर सिद्ध योग की प्राप्ति होती है।