पूर्व CM मांझी के कड़ा बयान….कहा- मंत्री, कलक्टर, एसपी, सभी शराब का सेवन करते हैं….लेकिन केवल पकड़ा जाता है गरीब….

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पटना: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने एक बार फिर शराबबंदी की समीक्षा करने की बात कहीं है। हिन्दुस्तान आवाम मोर्चा सेक्यूलर के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने बगहा नगर परिषद स्थित बिहार के पूर्व विधान सभा उपाध्यक्ष स्वर्गीय योगेन्द्र प्रसाद श्रीवास्तव के निवास पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कहा की शराब आदिवासियों के देवताओं को चढ़ाया जाता है। लेकिन शराबबंदी के नाम उन्हें पकड़ लिया जाता है। उन्होंने कहा की दवा के रूप में शराब भी लिया जाता है, लेकिन शराब का व्यसन बनाना खराब बात है। उन्होंने कहा की कलक्टर हैं, एसपी हैं, एमएलए हैं, मंत्री है। वे शराब का सेवन करते हैं। अगर सरकार को पकड़ना है तो उनलोगों को पकडे। हमारे गरीब लोगों को क्यों पकड़ा जा रहा है।

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उन्होंने कहा की वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना के वनवासियों के हक- हकूक की लड़ाई हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा सेक्यूलर पार्टी लड़ाई लड़ेगी। उनके साथ नाइंसाफी नहीं होने देगी। आगे कहा कि वनवासियों के लिए फाॅरेस्ट राइट एक्ट बना है, उसके जो नियम और कानून बनाये गये हैं। उसके आधार पर बिहार सरकार के पदाधिकारियों को को काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज और कल वाल्मीकिनगर में हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा सेक्यूलर पार्टी के राष्ट्रीय परिषद की बैठक है। बैठक में वनवासियों के स्थिति पर चर्चा की जायेगी। पत्रकारों के यह पुछे जाने पर कि आपकी सरकार थी, तो आपने बहुत सारे कैबिनेट फैसले लिये थे, जिसमें मानदेय शिक्षक और वित्त रहित शिक्षकों को वेतनमान देने की भी बात थी। वित्त रहित शिक्षकों को बिहार सरकार के द्वारा दी गयी सहायक अनुदान की राशि बिहार में नहीं मिल पा रही है। प्रबंध पैसे का बन्दरबांट कर रहा है। आज आपकी NDA की सरकार है।

आपके द्वारा लिए गये निर्णय को लागू करने में बिहार सरकार को क्या दिक्त है, इस पर मांझी ने कहा कि हमने सैंकड़ों निर्णय लिया था, जिसमें चौंतीस पैंतीस निर्णय ऐसे थे, जो माइल स्टोन का निर्णय था, जिसको नितीश कुमार मोङ़ बदलकर लागू कर रहें हैं। किसान, महिला और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में मौजूद समस्याओं पर मैने जो निर्णय लिया था, उस पर नितीश कुमार काम कर रहें हैं, परन्तु बहुत ही धीमी गति से। बगहा को राजस्व जिला बनाये जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मेरी सरकार में तीन प्रमंड़ल, चौंसठ प्रखंड़, तेरह अनुमंडल और सात जिला का प्रस्ताव आया था। एक महीना और मेरी सरकार रह जाती, यह सभी बन जाते विधानसभा से स्वीकृति हम ले लेते।