छपरा

आशाओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का किया गया आयोजन

  • कार्यपालक निदेशक की अध्यक्षता में आशाओं ने सीखे गुर
  • 15 दिनों तक चलेगा गृह आधारित शिशु देखभाल प्रशिक्षण

छपरा: बच्चों के जन्म के पश्चात उनकी घर पर होने वाली देखभाल संबंधित आवश्यक जानकारियां आमजन तक पहुंचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा विभिन्न स्तर पर प्रयास किये गये हैं. छोटे बच्चों के घरों पर उनके बेहतर पोषण सुनिश्चित करने और उनके आवश्यक टीकाकरण संबंधी जानकारी उनके माता पिता के साथ आशा के माध्यम से साझा की जा रही है. आशा के माध्यम से बच्चों का समय समय पर वजन व कद की जांच कर उनमें कुपोषण की स्थिति होने पर इससे निबटने के लिए दिये जाने वाले विभिन्न प्रशिक्षणों से उनका क्षमतावर्धन हो रहा है.

इन विषयों पर क्षमतावर्धन को ध्यान में रखते हुए राजधानी पटना के पाटलीपुत्र कॉलोनी स्थित एक निजी होटल में आशाओं के प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. गुरुवार से आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम 15 दिनों तक चलेगा. इस दौरान आशाओं को आशा मॉड्यूल 5, 6 व 7 की जानकारी दी जायेगी. साथ ही गृह आधारित शिशु देखभाल, गैरसंचारी रोग व शहरी आशा के कार्यों में प्रगति लाने के उद्देश्य से यह यह प्रशिक्षण काफी मददगार होगा.

राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार की अध्यक्षता में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान आशा प्रशिक्षण की महत्ता व उद्देश्य पर विस्तार से चर्चा की गयी. उन्होंने बताया राज्य स्तरीय मूल प्रशिक्षकों द्वारा स्वास्थ्य विभाग को तकनीकी सहयोग प्रदान करने वाली संस्था केयर इंडिया के कर्मियों को जिला आशा प्रशिक्षक के रूप में तैयार किया जायेगा. सफल प्रतिभागियों द्वारा सभी आशा को आशा मॉडयूल 5, 6, 7 सहित गृह आधारित शिशु देखभाल व शहरी आशा तथा गैर संचारी रोगों की पहचान व उसकी जांच आदि के लिए प्रशिक्षित किया जायेगा.

छोटे शिशुओं को बेहतर देखभाल प्रदान कराने के उद्देश्य से होम बेस्ड केयर फॉर यंग चाइल्ड जैसे प्रशिक्षण कार्यक्रम से माताओं को छोटे बच्चों के स्वास्थ्य प्रबंधन पर आवश्यक जानकारी देते हुए किसी जटिलता से निपटने की जानकारी दी जाती है. बच्चों को स्तनपान कराने के तरीकों सहित उनके पूरक आहार में शामिल पोषण वाले तत्वों के बनाने आदि की भी विधि बतायी जाती है.

गृह आधारित देखभाल का उद्देश्य बच्चों में बेहतर पोषण की स्थिति तैयार करना, डायरिया प्रबंधन के लिए ओआरएस के घोल देने की विधि व जिंक टेबलेट का इस्तेमाल करना, कृमिमृक्त करना, टीकाकरण कराना और स्वस्थ्य जीवनकाल प्रदान करते हुए शिशु मृत्यु दर को कम करना है. ऐसे प्रशिक्षणों की मदद से आशा छोटे बच्चों में कुपोषण के चिन्हों को पहचान कर उनके प्रारंभिक विकास में सुधार लाने की दिशा में काम करती हैं.

इस मौके पर राज्य स्वास्थ्य समिति की अपर कार्यपालक निदेशक डॉ करुणा कुमारी, राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी आशा ईकाई के डॉ वाइएन पाठक, केयर इंडिया से चीफ पार्टी सुनील बाबु, टीम लीडर प्रणय कुमार, डॉ जयंती श्रीवास्तव उपनिदेशक प्रशिक्षण व अन्य पदाधिकारी शामिल थे.

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