पद का दुरुपयोग कर फर्जी कागजात के आधार पर अनुचित लाभ लेने मामले में अध्यक्ष रामायण चौधरी पर प्राथमिकी

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✍️परवेज अख्तर/सीवान:

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सिवान सेेंट्रल को-आपरेटिव बैंक के तत्कालीन अध्यक्ष रामायण चौधरी पर पद का दुरुपयोग कर फर्जी कागजात के आधार पर अनुचित लाभ लेने के मामले में नगर थाना में प्राथमिकी कराई गई है। मामले में जिला पदाधिकारी सह सिवान को-आपरेटिव बैंक के प्रशासक अमित कुमार पांडेय के निर्देश पर ऋण पदाधिकारी रणजीत कुमार सिंह ने नगर थाना में आवेदन दिया है। दिए गए आवेदन में बताया गया है कि चार मार्च को सिवान सेंट्रल को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड के कार्यकलापों की समीक्षा के क्रम में यह पाया गया कि 2018 में बैंक अध्यक्ष रामायण चौधरी को कैश क्रेडिट ऋण की सीमा में वृद्धि किए जाने संबंधी संचिका एवं अभिलेखों के अवलोकन से यह बात सामने आई है कि मेसर्स दुर्गा ट्रेडर्स जिसका ऋण खाता संख्या 000115002100005 हैं। उक्त फर्म के प्रोपराइटर रामायण यादव हैं।

इससे संबंधित संचिका की गहनतापूर्वक जांच की गई तो पाया गया कि कैश केडिट ऋण खाता के अंतर्गत 35 लाख रुपये का कैश क्रेडिट ऋण तत्कालीन प्रबंध निदेशक के अनुशंसा पर तत्कालीन बैंक अध्यक्ष द्वारा 13 दिसंबर 2014 को स्वीकृत है। जबकि आवेदक के द्वारा समर्पित भूमि सिक्यूरिटी का मूल्य 33 लाख रुपये अंकित है। तीन वर्ष बाद उक्त कैश क्रेडिट खाता धारक रामायण चौधरी के बैंक के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित होने के लगभग दो माह के भीतर ही ऋण सीमा के विस्तार हेतु 15 मार्च 2018 को आवेदन समर्पित किया गया। रामायण चौधरी द्वारा समर्पित एक बिगहा 10 कठ्ठा एक घूर भूमि जो बैंक में बंधक रखा गया था जिसकी कीमत दिसंबर 2014 में 33 लाख छह हजार रुपये प्रतिवेदित था। जबकि उस भूमि का मूल्यांकन मात्र तीन वर्ष बाद पांच करोड 25 लाख 46 हजार रुपये दर्शाया गया। इसके अतिरिक्त नवीन सिक्यूरिटी के नाम पर मात्र दो कट्ठा तीन धुर भूमि जिसका सर्किल रेट मात्र 31 लाख 68 हजार 807 रुपये होता है, का मार्केट वैल्यू 1 करोड़ 84 लाख 56 हजार 900 रुपये दर्शाया गया है।

रामायण यादव द्वारा फर्म का बैलेंस सीट 31 मार्च 2017, अनुमानित बैलेंस सीट 31 मार्च 2018 एवं प्रोजेक्टेड बैलेंस सीट 31 मार्च 2019 समर्पित किया गया। इस पर चार्टड एकाउंटेंट पीबीएसकेजी एंड कंपनी का मुहर एवं इनिशियल अंकित है। लेकिन चार्टड एकाउंटेंट का फर्म निबंधन संख्या एवं सदस्य संख्या अंकित नहीं है और ना ही यूडीआईएन नंबर ही अंकित है। 15 मार्च 2018 को ही ऋण सीमा सात करोड़ रुपये तक विस्तार हेतु संचिका पर अध्यक्ष रामायण चौधरी द्वारा स्वयं स्वीकृति दी गई है, जो बैंक उपविधि का उल्लंघन है। उपरोक्त तथ्यों से यह स्पष्ट है कि तत्कालीन अध्यक्ष रामायण चौधरी द्वारा पद का दुरुपयोग करते हुए भ्रष्ट कृत्य के माध्यम से फर्जी कागजातों के आधार पर अनुचित लाभ लिया गया है, जो बिहार सहकारी सोसाईटी अधिनियम / नियमावली एवं बैंक के उपविधि एवं भारतीय दंड सहिता के प्रावधानों के आलोक में अपराधिक कृत्य होने के कारण दंडनीय है।