सिवान: दिव्य माहौल उस समय अयोध्या का था की जब सूर्य देव को भी ठहरना पड़ गया: राजन जी महाराज

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✍️परवेज़ अख्तर/एडिटर इन चीफ:
जिले के स्थापना के स्वर्ण जयंती के उपलक्ष्य में ऐतिहासिक गांधी मैदान में सनातन संस्कृति न्यास द्वारा आयोजित नौ दिवसीय संगीतमय श्री राम कथा में पूज्य राजन जी महाराज द्वारा सकारात्मकता,समरसता, संचेतना के संदेश की अमृत वर्षा की जा रही है।सरस कहानी, संगीतमय प्रवाह के बीच गूढ़ आध्यात्मिक रहस्यों की सरल व्याख्या सुनकर श्रद्धालुजन मंत्र मुग्ध हो जा रहे हैं।भगवान श्रीराम भारतीय संस्कृति के एक सतत विद्यमान व कभी न बीतने वाले वर्तमान हैं। लोक मन में श्रीराम आज भी संवादरत हैं। आमजन की भावनाओं में राम जीवंत हैं। यही कारण है कि वाचिक-श्रवण परंपरा में राम कथा की अभिव्यक्ति प्रभावी बनी हुई है। पूज्य राजन जी महाराज के संगीतमय प्रवचन को सुनकर श्रद्धालुजन नृत्य करने लग रहे हैं। श्री राम कथा के चौथे दिन पूज्य राजन जी महाराज ने प्रभु श्री राम के बाल लीला की अद्भुत कहानी सुनाई, जिसे सुनकर श्रद्धालु भावविभोर हो गए।

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प्रतिदिन कथा सुनने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।पूज्य राजन जी महाराज ने राजा दशरथ के चारों पुत्रों के नामकरण संस्कार का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि भगवान तो अनंत सुख के धाम हैं, आनंद के प्रदाता हैं। हिंदी में प्रत्येक शब्द का विलोम उपलब्ध है लेकिन आनंद शब्द का विलोम उपलब्ध नहीं है क्योंकि आनंद शब्द परमात्मा से जुड़ा हुआ है। कई बार लोग अज्ञानता में कह जाते हैं कि भगवान बड़ा दुख दे रहे हैं जबकि भगवान तो सिर्फ आनंद देते हैं दुख तो व्यक्ति के कर्मों का प्रतिफल होता है। इसलिए हर व्यक्ति को सदैव सत्कर्म करते रहना चाहिए। इससे हमेशा जीवन आनंदमय बना रहेगा।पूज्य राजन जी महाराज ने राघव जी के बाल लीला और अयोध्या नगरी में बधाई गायन की बात बताते हुए कहा कि ऐसा दिव्य माहौल उस समय अयोध्या का था कि सूर्य देव को भी ठहरना पड़ गया। पूज्य राजन जी ने कहा कि हमें राम जी में भरोसा रखने का स्वभाव बनाना होगा। केवल पूजा पाठ करने से भगवान के प्रति विश्वास उत्पन्न नहीं हो सकता है।

जब आप भगवान में विश्वास करना शुरू कर देंगे तो प्रत्येक चिंता से मुक्त हो जाएंगे। आपके सारे तनाव खत्म हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि किसी भी समस्या के दो पक्ष होते हैं या तो समस्या का समाधान हमारे हाथ में होता है तो फिर चिंता की कोई आवश्यकता नहीं होती है। यदि समस्या का समाधान हमारे हाथ में नहीं है तो भी चिंता की कोई बात नहीं। सदैव राघव की लीला में विश्वास रखिए भरोसा कीजिए जीवन आनंद से भर जाएगा।राजन जी महाराज ने कहा कि प्रभु श्री राम के जन्म लेने पर अयोध्यानगरी में हर्ष व्याप्त हो गया। राम का शाब्दिक अर्थ है हर्ष दायक, सुंदर, मनोहर, सरस और सुहावना। श्रीराम विष्णु के अवतार के रूप में जाने जाते हैं। चैत महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अयोध्या में आपका अवतरण हुआ था। मानव रूप में बालक, युवा, प्रौढ़,राजा, योद्धा, वनचारी, पुत्र मित्र पति व भाई आदि के रूप में राम का चरित्र जन जन तक पहुंचा है। इसकी गूंज अनेक काव्य लोक रचनाओं और अब इस प्रकार के कथा के वाचन व श्रवण से सर्वत्र व्याप्त है।

श्रीराम का नाम उर्जा और शांति देने वाला मंत्र है। राम अलौकिक से अध्यात्मिक अधिक हैं। आनंद का स्वरूप परमात्मा हैं और श्रीराम आनंद के स्वरूप हैं।कथा श्रवण हेतु राजद नेत्री हीना सहाब कथा स्थल पर आई।चतुर्थ दिवस की कथा में दैनिक यजमान के रूप में डॉ विनय कुमार सिंह, डॉ.ममता सिंह, विनोद कुमार द्विवेदी, सुमन देवी, प्रशांत कुमार,आभा सिन्हा, गोविंद गुप्ता,गुड़िया देवी उपस्थित रहे। वही बलिया से अर्चना पाण्डेय,रांची से प्रेमचंद श्रीवास्तव,बेतिया से अजय मिश्र, सुनील वर्मा, अशोक वर्मा, राजीव तिवारी,अरविंद सिंह, उमाशंकर पाण्डेय,गोपालगंज से रिंकू रंजीत दुबे, लालगंज वैशाली के अभिषेक तिवारी, झारखंड से आए विनय कुमार पाण्डेय, आजमगढ़ से पूज्य राजन जी महाराज के जीजाजी तारकेश्वर मिश्रा, भांजे अभिषेक मिश्रा, सीवान श्रीराम जन्मोत्सव के सचिव मुकेश कुमार,शिशु रोग विशेषज्ञ, डॉ. दिनेश कुमार,नगर के प्रसिद्ध स्वर्ण व्यवसाई सुभाष प्रसाद, धर्मशिला देवी, नगर पार्षद जयप्रकाश गुप्ता, नगर उपसभापति किरण गुप्ता, अभिषेक सिंह, डॉक्टर सरिता कुमारी, राधे मोहन पाण्डेय, गणेश अग्रवाल, वीरेंद्र नाथ पाठक, वीरेंद्र कुमार पाण्डेय, मदन प्रसाद सिंह, सुबोध सिंह, मनोरंजन सिंह, अधिवक्ता अखिलेश्वर पाण्डेय,दक्ष संस्था के निदेशक जीतेश सिंह आदि उपस्थित रहे। अतिथियों को पूज्य राजनजी ने अपना मंगल आशीष दिया जबकि डॉक्टर रामेश्वर कुमार, डॉक्टर शरद चौधरी और डॉक्टर आर के सिंह ने स्मृति चिन्ह प्रदान किया।