कोविड-19 के आगे नहीं मानी हार, समुदाय को जागरूक करती रही आशा रेखा देवी

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  • सामाजिक भेदभाव को किया दरकिनार, अपने कर्तव्यों को बखूबी निभाई रेखा
  • सतर्कता से खुद किया सुरक्षित
  • स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने ग्रामीणों को समझाया
  • 2085 परिवारों की जिम्मेदारी निभा रही है रेखा

छपरा: कोरोना के खिलाफ के हर कोई जंग लड़ रहा है। डॉक्टर, नर्स, पुलिसकर्मी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहित हर कोई अपने आप में एक कोरोना योद्धा है। कोरोना संक्रमण से खुद को सुरक्षित रखते हुए लोगों को निरंतर जागरूक करने में जुटी आशा कार्यकर्ताओं के सामने भी कई चुनौतियाँ है. दरियापुर प्रखंड के ककरहट पंचायत की आशा कार्यकर्ता रेखा देवी को भी ऐसी ही कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. लेकिन वह हार नहीं मानी एवं अपने कर्तव्यों का बखूबी निर्वहन करते हुए समाज को एक सकारत्मक सन्देश देने में सफ़ल हुयी है.

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घर से हुयी चुनौतियों की शुरुआत

रेखा देवी के घर के 5 सदस्य कोरोना की चपेट में आ गए. ऐसी स्थिति में रेखा ने सामाजिक दूरी जैसे नियमों का का पालन करते हुए पहले खुद को बचाया एवं अपने परिवार के लोगों को होम आइसोलेट करते हुए इसकी सूचना तुरंत स्वास्थ्य विभाग को दी. सूचना मिलने के बाद संक्रमितों को छपरा आईसोलेशन सेंटर में भर्ती कराया गया, जहां पर उनका बेहतर उपचार किया गया और सभी ने कोरोना से जंग जीत लिया. आशा कार्यकर्ता रेखा देवी कहती हैं उनके देवर-देवरानी व चार बच्चें महाराष्ट्र से आये थे। जिन्हें रास्ते में ही किसी संक्रमित के संपर्क में आने से देव-देवरानी समेत 4 बच्चें कोरोना पॉजिटिव पाये गये। लेकिन वह पूरी तरह स्वस्थ थी। इनसब बातों को दरकिनार करते हुए वह रोज की तरह अपने क्षेत्र के लोगों को जागरूक करती रही। लेकिन लोगों ने सामाजिक भेदभाव करना शुरू कर दिया। लोगों का कहना था कि उनके घर में इतने लोगों संक्रमित है। इसलिए वह क्षेत्र में नहीं आये तो बेहतर है।

सामाजिक भेदभाव को किया दरकिनार, समुदाय को करती रही जागरूक

आशा कार्यकर्ता के परिवार के लोगों को कोरोना होने के बाद उसके सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ा । लोगों ने उसे क्षेत्र में आने से माना कर दिया। लेकिन इसके बावजूद भी रेखा देवी हिम्मत नहीं हारी। वह लगातार लोगों को समझाती रही कि उनका रिपोर्ट निगेटिव है एवं वह पूरी तरह से स्वस्थ है. वह गांव में होने वाले आरोग्य दिवस पर लगातार अपनी सेवा देने की प्रयास करती रही । सामाजिक भेदभाव को दरकिनार करते हुए समुदाय के लोगों में कोविड-19 से बचाव के बारे में जागरूक करती रही । इससे लोगों को भी प्रेरणा मिल रही है।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने ग्रामीणों को समझाया

ग्रामीणों के द्वारा आशा कार्यकर्ता का लगातार विरोध किया गया। लेकिन अपने कार्यों के प्रति समर्पित भावना रखने वाली रेखा हार नहीं मानी। उसने इसकी सूचना जिलास्तर के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दी कि उनके साथ गांव में सामाजिक भेदभाव किया जा रहा है। जिसके बाद जिलास्तर व प्रखंडस्तर से स्वास्थ्य विभाग ने तत्परता दिखाई। अधिकारियों की टीम गांव में पहुंची और लोगों को समझा गया कि आशा कार्यकर्ता रेखा पूरी तरह से स्वस्थ है और वह सिर्फ समुदाय की सेवा कर रही हैं. साथ ही किसी तरह की स्वास्थ्य समस्या होने पर लोगों को आशा रेखा से ही संपर्क करने की सलाह भी दी गयी.

सामाजिक भेदभाव से बचें

आशा कार्यकर्ता रेखा देवी कहती हैं वह समुदाय के लोगों को समझाते हैं कि कोरोना को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है न कि कोरोना संक्रमितों के परिजनों से भेदभाव किया जाये। अगर किसी को कोरोना हो गया तो उसका बहिष्कार नहीं करें बल्कि उसके मनोबल को बढ़ाये। अगर घर में किसी को कोरोना होता है तो ज्यादा चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है। कोरोना से बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन, मास्क का उपयोग, गर्म पानी, गर्म दूध पियें, नियमित हाथों के सफाई करते रहें। साथ हीं साथ अपने आस-पास में साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखें। लक्षण दिखने पर तुंरत नजदीक स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क करें।

2085 परिवारों की जिम्मेदारी निभा रही है रेखा

आशा कार्यकर्ता रेखा देवी कहती हैं सभी जगह 1000 परिवार पर हीं एक आशा कार्यरत है। लेकिन उनके कंधे पर 2085 परिवारों की जिम्मेदारी है। दरियापुर प्रखंड के ककरहट पंचायत के लोछा हरिजन टोली और पुरदिलपुर गांव के 2085 परिवारों की जिम्मेदारी उन्हें दी गयी हैं। यहां एक आशा का जगह खाली होने के कारण दोनों जगह का कार्य वह करती हैं.

चिलचिलाती धूप में काम पर जुटीं रेखा

जिला मुख्यालय से लगभग 46 किलोमीटर दूर दरियापुर प्रखंड के रहने वाली रेखा देवी की दिनचर्या सुबह पांच छह बजे से शुरू हो जाती है। सुबह की चाय से लेकर खाना बनाने तक की जिम्मेदारी पूरी करके रेखा सुबह नौ बजे तक गांव की गलियों में सबके हाल खबर लेने निकल जाती हैं। चाहे धूप हो या बारिश का मौसम हो, हर परिस्थिति में रेखा अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी पूरा कर रही हैं. इसका ही परिणाम है कि जो समुदाय कल तक रेखा के खिलाफ़ खड़ा था, आज वे रेखा की हिम्मत एवं मेहनत की तारीफ़ कर रहे हैं.