लोक स्पीकर ने विधानमंडलों की गिरती ‘गरिमा’ पर चिंता जताई कहा- बैठकों की संख्या कम हो रही

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पटना: बिहार विधानसभा के सेंट्रल हॉल में आज विधायकों के लिए प्रबोधन कार्यक्रम हुआ। कार्यक्रम का उद्घाटन लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने किया। इस मौके पर राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, दोनों डिप्टी सीएम और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी मंच पर मौजूद रहे। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज बिहार विधानसभा के डिजिटल टीवी, स्मारिका का भी विमोचन किया। लोस अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि बिहार के नौजवानों की प्रतिभा का मैं लोहा मानता हूं।

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लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि हमारे संसदीय क्षेत्र कोटा में बिहार के बच्चों के टैंलेंट को नजदीक से जानता हूं। बिहार के नौजवान देश ही नहीं दुनिया में नाम कमा रहे। लोकतांत्रिक संस्थानों को और कैसे मजबूत करें इस पर सोचने की जरूरत है। जनता की अपेक्षा पूरी कैसे हो इस पर काम करने की जरूरत है। सदन की गरिमा बनाने की जिम्मेदारी हम सभी की है। जन प्रतिनिधियों की विशेष जिम्मेदारी होती है कि सदन की मर्यादा रखें, सदन संवाद के केंद्र बने और संवाद से जो विचार निकले जिससे अपेक्षित परिणाम मिले।

सदन में चर्चा होनी चाहिए, मुख्यमंत्री ने भी यही बातें कहीं हैं। हर विषय पर सदन में चर्चा हो, कानून बनाते समय भरपूर चर्चा हो. जब आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे तब चिंता इस बात की है कि सदन में गरिमा गिरती जा रही है। हम सभी के लिए चिंता का विषय है कि सदन में चर्चा कम हो रही है। सदन की गरिमा गिर रही है। इसे बरकरार रखना हम सब की जिम्मेदारी है। हमें यह व्यापक प्रयास करनी चाहिए कि सदन में संवाद हो. सदन की गरिमा बनाए रखें, शालीनता बनाए रखें। लोकतंत्र की मंदिरों को संवाद आधारित बनायें। लोकतंत्र में पक्ष-विपक्ष कार्य संस्कृति के अंदर है। हम राज्य के विकास की योजना कैसे बनाएं इस पर काम होना चाहिए। जनता का कल्याण कैसे करें यह जिम्मेदारी हम सबों की है। सदन में बैठकों की संख्या घटती जा रही है जो चिंता का विषय है। सदन के अंदर गरिमा गिर रही है. इस वजह से बैठकों की संख्या कम हो रही है। हमें कोशिश करनी चाहिए कि अधिक से अधिक समय तक सदन में चर्चा हो। आज लोकतंत्र पर विश्व में चर्चा हो रही है। भारत लोकतंत्र की जननी है। हम हमारे लोकतंत्र के मूल्यों को कैसे मजबूत करें? जिनको जनता ने चुन कर भेजा है उनपर सबसे अधिक जिम्मेदारी है। चर्चा और संवाद में गरिमा और शालीनता होनी चाहिए। विधानसभा के अंदर शालीनता गिरती जा रही है, जिससे देशभर में चिंता हैं। हम संकल्प लें कि विधानमंडलों की गरिमा बरकरार रखेंगे। हर विधानमंडल में सर्वश्रेष्ठ विधायक का चयन होना चाहिए। हमारा बार-बार प्रयास होना चाहिए कि सारी प्रक्रियाओं के तहत सदन में रहें और पुराने विधायकों से सीखें। अगर ऐसा करेंगे तो कार्यपालिका पर नियंत्रण रख सकेंगे।

लोस अध्यक्ष ने कहा कि शिमला सम्मेलन में हमने तय किया है कि सारे विधानमंडलों को एक डिजिटल मंच पर लाया जाए। विधानमंडलों की लाइब्रेरी को एक मंच पर लाने की कोशिश कर रहे। इससे सभी प्रतिनिधियों को ज्ञान का लाभ होगा। विधानमंडल की अच्छी बातों-परंपरा को सारे लोग जानें और उसे अपनायें। उन्होंने कहा कि आज भी संसद में कई ऐसे दल हैं जो वेल में नहीं आते। बिहार का जनकल्याण हो इसके लिए सभी की जिम्मेदारी है। बिहार लोकतंत्र की जननी है और जीवंत लोकतंत्र है। गांव का हर व्यक्ति भी लोकतांत्रिक व्यवस्था को लेकर जागरूक है। बिहार को विकसित बिहार बनाने में आप लोग योगदान दें। सामूहिकता के संकल्प के साथ आप काम करेंगे तो बिहार समृद्ध होगा और देश में नंबर वन होगा।

सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि यहां बहुत कुछ जानकारी नहीं थी। 2011 में विधानमंडल में बड़ा कार्यक्रम हुआ था। इंगलैंड से पूरी जानकारी मंगाई गई थी। नए विधायकों को सब कुछ जानने की जरूरत है। जनता विधायकों को चुन कर भेजती है। निर्वाचित प्रतिनिधियों से जनता की काफी अपेक्षा होती है। विधानसभा की तरफ से नए विधायकों को पूरी जानकारी दी जाती है। विस में सत्ता पक्ष व विपक्ष के विधायकों को अधिकार है कि वे सदन में सवाल पूछें। अगर आप विस के सदस्य हैं तो उनका दायित्व पूरे राज्य का होता है। अपने क्षेत्र के साथ पूरा राज्य को सोचना होता है।आप लोग अपनी बात को सदन में पूरी मजबूती से रखें। इसका कापी फायदा मिलेगा। विपक्ष को तो अधिकार है हीं कि वे बुलंदी से आवाज उठायें। असली चीज तो है कि अपनी बात बुलंदी से रखें। जब हम लोकसभा में गए तो एक-एक चीज को देखते थे। 1989 में पहली दफे जीते और मंत्री बन गए। लेकिन 1991 से हम अपनी बात मजबूती से रखते थे। कुछ सदस्य सदन में नहीं बोलते थे हम उनसे पूछते थे कि क्यों नहीं सदन में बोलते हैं? संसद के सेंट्रल हॉल में पक्ष-विपक्ष के सांसद प्रेम से मिलते थे और बात करते थे। दिल्ली के सेंट्रल हॉल की तरह यहां भी सेंट्रल हॉल बनवा दिये हैं। आप लोग यहां भी सेंट्रल हॉल में आकर बात करें।

मंत्री विजय चौधरी ने जताई गहरी नाराजगी

कार्यक्रम में बोलते हुए संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि स्पीकर महोदय आपको एक विजय ने बिहार आने का आमंत्रण दिया चलिए दूसरे विजय के कार्यकाल में आप बिहार विधानसभा के कार्यक्रम में आ गये। संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि आज हर कोई हमलोग पर अंगुली उठाने के लिए तैयार बैठा रहता है। मौका मिला नहीं कि हमलोगों पर अंगुली उठा दी जाती है। आज शऱाबबंदी पर एक संस्था की तरफ से अंगुली उठाई जा रही है। बिना नाम लिये न्यायपालिका पर सवाल करते हुए मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष पूरे देश के विधायिका के कस्टोडियन हैं। आज बिहार की शऱाबबंदी कानून पर सवाल खड़े किये गये और कहा गया कि बिना समझ के कानून बना दिया गया। ऐसे में आप विधायका को बचाने के लिए आगे आयें। हम प्रतिकार नहीं करेंगे लेकिन जो सवाल खड़े किये जा रहे उस पर अपनी पीड़ा तो जरूर व्यक्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि गाहे-बगाहे शराबबंदी कानून को उदाहरण के तौर पर बताया गया और कहा गया कि विधायिका ने बिना सोचे-समझे कानून बना दिया। विजय चौधरी ने इस पर गहरी आपत्ति जताई और लोकसभा अध्यक्ष को आगे आने को कहा।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय सिन्हा ने कहा कि हमें बिहार के गौरव को फिर से हासिल करना है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार इसके लिए काम कर रहे हैं। हम सबों का दायित्व है कि बिहार का गौरव बढ़ाने में अपनी जिम्मेदारी को निभायें।वहीं विस के उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी ने कहा कि जनप्रतिनिधियों का सम्मान कैसे बढ़े इसके बारे में बताने की जरूरत है। बिहार विधानसभा सदस्यों के प्रबोध कार्यक्रम में बड़ी संख्या में विधायक भी मौजूद हैं।

तेजस्वी यादव का तंज

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि राजनीतिक संस्थानों को कमजोर की जा रही है। मर्यादा को तार-तार किया जा रहा है। यह जनतंत्र के लिए खतरनाक है। राज्यों की अपनी पहचान रही है,अपनी प्राथमिकता रही है। केंद्र व राज्य के बीच रिश्तों के बदलते स्वरूप के बारे में भी सोचने की जरूरत है। हम एक साथ मिलकर इस संस्था को कैसे मजबूत बनाएं इस पर काम करने की जरूरत है। संवैधानिक संस्थानों को मजबूत बनाने का संकल्प लें।