बड़हरिया: माहे रमजान के आखिरी हिस्से में से कोई एक रात लैलतुल कद्र की रात होती है: अहबाब हुसैन

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  • झखाड़ी हाता गांव के दावते इफ्तार पार्टी में दिखा गंगा जमुनी तहजीब
  • रमजान के महीने में मुसलमान शिद्दत से इबादत करता है

✍️परवेज़ अख्तर/एडिटर इन चीफ:
सिवान जिले के बड़हरिया प्रखंड के झखाड़ी हाता स्थित सनराइज पब्लिक स्कूल के परिसर में रविवार को एक भब्य तरीके से दावते इफ्तार पार्टी का आयोजन अहबाब हुसैन,सद्दाम हुसैन,एवं तौहिद आलम की देखरेख में संपन्न हुआ।जिसमें क्षेत्र के कई गांव के रोजेदारों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।इस आयोजित दावते इफ्तार पार्टी में गंगा जमुनी तहजीब देखने को मिला।जहां दोनों समुदाय के लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।इस मौके पर अहबाब हुसैन ने कहा कि माहे रमजान के आखिरी हिस्से में 21,23,25,27 और 29 में से कोई एक रात लैलतुल कद्र होती है।इसी दिन कुरान शरीफ नाजिल किया गया था।हर सेहतमंद मुसलमान के लिए रोजा अनिवार्य है।वहीं सद्दाम हुसैन ने कहा कि रमजान के महीने में जन्नत के दरवाजे खुल जाते हैं।अल्लाह रोजेदार और इबादत करने वाले की दुआ कूबुल करता है और इस पवित्र महीने में गुनाहों से बख्शीश मिलती है।वहीं तौहिद आलम ने कहा कि रमज़ान का महीना बहुत ही बरकतों वाला होता है।

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जिसमें हर मुसलमान शिद्दत से इबादत करता है और पूरे महीने रोज़े रखता है।उन्होंने कहा कि रमजान के महीने में अल्लाह के तरफ से खूब रहमत बरसती है।बुराई पर अच्छाई हावी हो जाती है।इस महीने मुसलमान अपनी चाहतों पर नकेल कस सिर्फ अल्लाह की इबादत करते हैं।वहीं मौलाना सरफुद्दीन चतुर्वेदी ने कहा कि यह महीना सब्र का महीना भी माना जाता है।लेकिन यह बहुत कम लोगों को मालूम होता है कि रमज़ान के रोज़े रखने के अलावा और क्या करना चाहिए।किन बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है।अगर आप ऐसा करते हैं तो आपको इबादत करने का दोगुना सवाब मिल सकता है।इस मौके पर रिज़वानुल्लाह सिद्दीकी,वसी इमाम,खादिम हुसैन,मगर्बुल हुसैन,सराफत हुसैन,मुस्तफा हुसैन,मोहम्मद अलाउद्दीन, इरफान अली,अर्जुन कुमार सहनी,अशोक कुमार,धनोज कुमार राम,गुड्डु कुमार रामनरेश राम नरेस राम,मेत सैकड़ों की संख्या में रोजगार एवं प्रबुद्ध तथा स्थानीय कई जनप्रतिनिधिगण मौजूद थे।