सिवान: सुहागिनों ने विधि-विधान से हरितालिका तीज व्रत रखकर मांगा अखंड सौभाग्य

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✍️परवेज अख्तर/सिवान: अखंड सौभाग्य लिए सोमवार को जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्रों में सुहागिन महिलाओं ने हरितालिका तीज व्रत पूरे श्रद्धा व आस्था के साथ किया। निर्जला व्रत रखकर सुबह से महिलाएं तैयारी में जुट गईं थी। व्रतियों ने काली मिट्टी से भगवान शिव तथा माता गौरी की मूर्ति बनाकर पूजा सामग्री सहित सुहाग की निशानी अन्य पूजन सामग्री चढ़ाकर विधि पूर्वक पूजा अर्चना की। शुभ मुहूर्त में महिलाएं नए वस्त्रों से सुसज्जित होकर साेलह शृंगार कर विधि विधान के साथ पूजा अर्चना प्रारंभ कर दी। देर शाम तक पूजा पाठ का दौर चलता रहा।

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इसके उपरांत पुरोहितों से कथा सुनीं। कथा के माध्यम से पति और पत्नी के बीच के रिश्ते के धार्मिक व आध्यात्मिक महत्व पर चर्चा की गई। आचार्य पंडित उमाशंकर पांडेय ने बताया कि कहा कि भाद्रपद मास में हस्त नक्षत्र से युक्त शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को तीज व्रत रखा जाता है। इस व्रत को विवाह से पूर्व भी कन्याएं रखती हैं। इससे मनोवांछित पति की प्राप्ति होती है।

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विवाहोपरांत व्रत के रखने से अखंड सौभाग्यवती का वरदान प्राप्त होता है। इसके साथ ही अन्य प्रकार की सुख एवं एश्वर्य की प्राप्ति भी होती है। उन्होंने कहा कि केवल तीज व्रत कथा सुनने से एक हजार अश्वमेघ यज्ञ का फल प्राप्त होता है। बताया कि व्रतियों ने भगवान शिव, पार्वती और गणेश की बेलपत्र, शमी पत्र, केले का पत्त, धतूरे का फल व फूल, आंक का फूल, मंजरी, जनेऊ, वस्त्र, फल व फूल पत्ते, श्रीफल, कलश, अबीर, चंदन, घी-तेल, कपूर, कुमकुम, दीपक, फुलहरा, सुहाग पिटारा आदि के साथ पूजन अर्चना की। व्रतियों ने रात्रि जागरण भी किया और शिव-पार्वती के मंत्रों का जाप एवं भजन कर स्तुति करते हुए सौभाग्य की कामना की। 24 घंटे से अधिक समय तक इस व्रत को करने वालों ने फलाहार तो दूर जल तक का भी ग्रहण नहीं किया। व्रत के दूसरे दिन मंगलवार की सुबह को व्रती महिलाएं द्रव्य व अन्न आदि का दान कर जल पीकर इसका पारण करेंगी।