रोजेदारों के लिए निर्धारित है जन्नत में स्थान

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परवेज अख्तर/सिवान : रमजान का दूसरा अशरह काफी महत्व है यह अशरह 11 से 20 रमजान तक होता है। इस दूसरे अशह को मगफिरत का अशरह कहते हैं। इस अशरह की फजीलत बयान करते हुए कोल्हुआं दरगाह के पेश इमाम मौलाना हाफिज अब्दुल हक कहते हैं कि रमजान के महीने में रोजेदारों के सभी गुनाह माफ कर दिए जाते हैं और उनके लिए जन्नत में स्थान निर्धारित किया जाता है। अल्लाह तआला इस अशरह में अपने रोजेदार बंदों के सभी गुनाहों को माफ कर उन्हें बख्शिश फरमाते हैं। इस अशरह में ज्यादा से ज्यादा मगफिरत की दुआ मांगनी चाहिए। नबी ए करीम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम फरमाते हैं कि जन्नत में एक दरवाजा है जिसे रियान कहते हैं। कयामत के दिन इससे होकर सिर्फ रोजेदार ही जन्नत में प्रवेश करेंगे। मौलाना ने कहा कि अल्लाह तआला ने फरमाया ऐ ईमान वालों, तुम पर रोजा फर्ज किया गया है जैसा कि तुमसे पहले लोगों पर फर्ज किया गया था, ताकि तुम परहेजगार बन सको। हदीस में रसूल ए अकरम सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया कि मेरी उम्मत को रोजे मेें पांच विशेषताएं ऐसी दी गई हैं जो पिछली उम्मतों को नहीं दी गई थी। रोजेदारों के मुंह की बू अल्लाह तबारक एवं तआला के यहां मुश्क से ज्यादा महबूब है। रोजेदारों के लिए दरिया की मछलियां भी इफ्तार तक दुआ करती रहती हैं। जन्नत रोजेदारों के लिए हर रोज सजाई जाती है। अल्लाह तआला फरमाते हैं कि ऐ जन्नत मेरे नेक बंदे दुनिया की परेशानियां झेल कर तुम्हारे पास आएंगे। इस महीने में शैतान कैद कर दिए जाते हैं। रमजान के आखिरी रात में रोजेदारों की मगफिरत कर दी जाती है। इससे यह साफ है कि रमजान उल मुबारक विशेष महीना है। यह आत्म शुद्धि का महीना है। बुराइयों से बचने का महीना है। नेकियां कमाने का महीना है। एक-दूसरे की मदद और भलाई करने का महीना है।

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