मुर्दों की भीड़ में खड़ा एक भयमुक्त, निडर और समाज के लिए नेता

0
  • नेता को जनसेवक कहा जाता है, जनता के बीच रहकर जनता की सेवा करना उसका मुख्य दायित्व व कर्म है
  • नेता उसे नहीं कहते हैं जो सिर्फ वोट मांगने के लिए आपके दरवाजे पर जाए, और जीत जाए तो जनता को पूछे व पहचाने नहीं
  • आपदा की घड़ी में घरों में दुबक जाए, ट्विटर-फेसबुक से बयान जारी करे व हमदर्दी दिखाए

✍️ परवेज अख्तर/ एडिटर इन चीफ :
जातीय दुराग्रह में बंटे बिहार के लोग पप्पू यादव को नेता नहीं मानते हैं। चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ता है, लेकिन आज कल कोरोना काल में मीडिया के वीडियो में देखने के बाद मैं ताल ठोककर कह सकता हूं कि बिहार में सिर्फ एक ही नेता है—पप्पू यादव। दूसरा कोई नहीं। कोरोना काल में चप्पे-चप्पे में डर पसरा हुआ है। अस्पतालों के अंदर-बाहर लाशों और अव्यवस्थाओं की भीड़ है। डॉक्टर आतंकित हैं। जनसेवक कहे जाने वाले नेता चेहरे पर मास्क पहनकर ट्विटर और फेसबुक की ओट में बयान जारी कर रहे हैं। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के सहारे हालात का जायजा ले रहे हैं। घरों में दुबके लोग भी खौफ से मरे जा रहे हैं। उनका ऑक्सीजन अपने आप कम होता जा रहा है। ऐसे में कोई नेता मुर्दों का हालचाल लेने अगर अस्पताल पहुंच जाए तो उसे आप क्या कहेंगे। पप्पू यादव ऐसा कर रहे हैं। रोज कर रहे हैं।

विज्ञापन
pervej akhtar siwan online
WhatsApp Image 2023-10-11 at 9.50.09 PM
WhatsApp Image 2023-10-30 at 10.35.50 AM
WhatsApp Image 2023-10-30 at 10.35.51 AM
ahmadali

किसी मरीज को बेड चाहिए, ऑक्सीजन चाहिए, रेमडेसिविर चाहिए। सरकार में ऊंचे ओहदे पर बैठे लोग भी नहीं दिला पाएंगे। उनसे मांगना भी व्यर्थ है। आप पप्पू यादव को याद कीजिए। उनके शब्द कोष में न नहीं है। वह पाताल से भी आपके लिए व्यवस्था कर देंगे। मुझे आश्चर्य तब हुआ जब सत्तारूढ़ दल के एक वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री ने अपने रिश्तेदार के लिए मुझसे मदद मांगी। उन्हें रेमडेसिविर चाहिए था। मुझे हैरत हुई। कहा कि सरकार आपकी है। आप बड़े कद पद के विधायक हैं। सरकार को बोलिए। आप तो दूसरों के लिए इंतजाम कर सकते हैं। उनका जवाब था, मैंने सबको आजमा लिया है। निराश होकर ही आपसे मदद मांग रहा हूं। मैंने कहा कि जाइए, फिर बेशर्मी के साथ पप्पू यादव से मदद मांगिए। वह आपके लिए जरूर व्यवस्था कर देंगे।

पप्पू यादव की यही खासीयत है। अभी दो साल पहले पटना में जल जमाव के दौरान पप्पू की दिलेरी की देश भर में तारीफ हुई थी। बाढ़ के पानी में नाव के सहारे पप्पू घर-घर तक खाने का पैकेट और बोतल का पानी लेकर पहुंच रहे थे। बेशक नाव पर घूमने को मर्दानगी की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है, लेकिन तब उनका मानवीय पक्ष सबके सामने आया था। किंतु अभी के हालात में कोई सोच भी नहीं सकता है कि अस्पतालों में घूमा जाए। खासकर तब जबकि कोरोना से मरे मां-बाप की लाश लेने बेटे नहीं आ रहे हैं। अंतिम संस्कार भी जैसे-तैसे किया जा रहा है। इस भयावह स्थिति में भी पप्पू यादव मरीजों के बीच मिलेंगे। मृतकों के आश्रितों के गले लगकर आंसू पोंछते मिल जाएंगे। इसे आप क्या कहेंगे?

नेता को जनसेवक कहा जाता है। जनता के बीच रहकर जनता की सेवा करना उसका मुख्य दायित्व है। कर्म है। नेता उसे नहीं कहते हैं जो सिर्फ वोट मांगने के लिए आपके दरवाजे पर जाए। जीत जाए तो जनता को पूछे व पहचाने नहीं। आपदा की घड़ी में घरों में दुबक जाए। ट्विटर-फेसबुक से बयान जारी करे व हमदर्दी दिखाए। राष्ट्रकवि दिनकर ने नेताओं की परिभाषा लिखी है–
👇👇👇👇👇
वसुधा का नेता कौन हुआ?
भूखंड-विजेता कौन हुआ?
अतुलित यश क्रेता कौन हुआ?
नव-धर्म प्रणेता कौन हुआ?
जिसने न कभी आराम किया,
विघ्नों में रहकर नाम किया।

इस परिभाषा को पप्पू यादव पर लागू करके देखिए। बहुत कुछ समानता दिखेगी।