छपरा: विवेकानंद इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल की सक्रिय छात्रा श्रेया दसवी बोर्ड परीक्षा की बनी जिला टॉपर

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सारण जिले के छपरा के सुप्रसिद्ध शैक्षिक संस्थान “विवेकानंद इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल” की नियमित छात्रा श्रेया कुमारी, पिता- शैलेन्द्र कुमार सिंह (सेना में कार्यरत), ग्राम- समहोता, थाना- कोपा ने दसवी बोर्ड परीक्षा में 98.2% अंक के साथ उतीर्णता हासिल कर पूरे विद्यालय परिवार में खुशी का माहौल कायम कर दिया है। शुक्रवार की शाम जैसे ही परीक्षा परिणाम की सूचना प्राप्त हुई, वैसे ही समस्त विद्यालय जश्न में तब्दील हो गया।

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उतीर्ण छात्रा श्रेया विद्यालय के प्रारंभिक उद्घाटन सत्र में विद्यालय में तीसरी कक्षा में नामांकन ली थी तथा उसी समय से एकाग्र होकर नियमित रूप से अध्ययन कर रही थी, जहाँ उसे डे-बोर्डिंग की सुविधायें भी प्रदान की जा रही थी। श्रेया विद्यालय से जुड़े हर एक छोटे-बड़े प्रतियोगिता में नियमित रूप से बढ़-चढ़ कर योगदान देती थी। उसने परिश्रम के आगे कभी हार नही मानी और आज इसी का परिणाम है कि वह जिला स्तर पर उच्च श्रेणी के अंक प्राप्त कर सभी को गौरवान्वित कर रही है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि विवेकानन्द इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल के टॉप टेन विद्यार्थी ने 90% से अधिक अंक लाकर विद्यालय की खुशियों में चार चांद लगा दिया है।

श्रेया के साथ-साथ लूसी कुमारी, युवराज कुमार, प्रिंस कुमार, प्रांजल और अभिजीत राज ने भी 94.4%, 92.2%, 90.8%, 90.6%, 90.6% अंक के साथ उतीर्णता हासिल किया है। इस खुशी के मौके पर रिविलगंज प्रखंड प्रमुख सह विद्यालय निदेशक महोदय डॉ० राहुल राज ने श्रेया कुमारी और अन्य सभी उतीर्ण विद्यार्थी को अपना शुभाशीष प्रदान करते हुए उनका उत्साहवर्धन किया। श्रेया ने इस मुकाम को हासिल कर पूरे जिले में अपने विद्यालय सहित शिक्षकों और अभिभावकों का भी नाम रौशन किया है। हमारे निदेशक महोदय का उद्देश्य रहा है कि समाज के सभी वर्ग के अंतिम व्यक्ति तक सुदृढ़ शिक्षा का दीप पहुँचे और वे समाज को बेहतर बना सके। इसलिए अभिभावक चाहे किसी भी वर्ग के हो वे मात्र 20 से 25 ₹ प्रतिदिन के आसान खर्च में हमारे विद्यालय के माध्यम से समुचित तकनीकी सुविधा के साथ अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दे सकते हैं और उनका भविष्य उज्ज्वल बना सकते हैं,

जिसकी जीती जागती मिशाल है श्रेया। और तो और प्रति वर्ष नामांकन शुल्क भी नही लगता है इसका मतलब सोने पे सुहागा। निदेशक महोदय का कहना है कि आज कल प्रतियोगिता का दौर है इसलिए बच्चों के साथ उनके अभिभावकों को भी उनकी शिक्षा के प्रति जागृत होने की जरूरत है क्योंकि शिक्षक और अभिभावक का साथ ही बच्चे को पूर्णतः विकास की ओर अग्रसर करता है।