जज्बा: बाढ़ में भी नहीं रूके आशा बेबी देवी के कदम, संस्थागत प्रसव कराने में दे रहीं है महत्वपूर्ण योगदान

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  • कमर भर पानी से गुजर कर समुदाय को कर रही है जागरूक
  • साइकिल से ले जाने में पति भी करते हैं सहयोग
  • बाढ़ और कोरोना संकट में दोहरी जिम्मेदारी निभा रही है आशा बेबी देवी

छपरा: जिले में बाढ़ की चपेट में आए बाढ़ पीड़ितों को कोरोना के साथ बाढ़ जैसी दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ा रहा है। इस लिहाज से बाढ़ के बीच कोरोना के साथ स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराने की चुनौती भी बढ़ी है। दरियापुर प्रखंड के कई गांव भी बाढ़ के चपेट में आ गये है। दरियापुर के हरना पंचायत भी बाढ़ में डूब गया है। इस दौरान सबसे अधिक परेशानियां गर्भवती महिला के सामने आई है। ऐसे में आशा कार्यकर्ता बेबी देवी अपने क्षेत्र में बाढ़ जैसी चुनौतियों के बीच निरंतर अपनी सेवा दे रही है। कोरोना काल में आए बाढ़ के कारण बेबी देवी दोहरी जिम्मेदारी निभा रही है। एक तरफ जहाँ वह कोरोना के प्रति लोगों को जागरूक कर रही है तो दूसरी तरफ वह बाढ़ जैसे हालात में संस्थागत प्रसव कराने से भी पीछे नहीं हट रही है। गर्भवती महिलाओं को चिन्हित करने के साथ उन्हें जरुरी जानकारियां देना हो या गर्भवती महिला के कॉल आने पर उनके घर पहुंचकर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना हो, दोनों परिस्थितियों में वह तत्पर दिखती हैं. अपने कार्य के प्रति निष्ठा के कारण समुदाय के बीच उनकी एक मेहनती स्वास्थ्य कर्मी की छवि बनी है.

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संस्थागत प्रसव पर दे रही विशेष ध्यान

बेबी ने बताया कोरोना एवं बाढ़ के खतरे के बीच गर्भवती महिला को अधिक समस्या का सामना करना पड़ रहा है। बाढ़ के कारण प्रसव पूर्व जाँच कराने में गर्भवती महिलाओं को समस्या का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए वह घर-घर जाकर चिन्हित गर्भवती महिला का सामान्य प्रसव पूर्व जांच कर रही है एवं उनके संस्थागत प्रसव को लेकर तैयारियों पर जोर दे रही है। बेबी बताती हैं बड़ी समस्या तब होती है जब किसी गर्भवती को इस बाढ़ के पानी के बीच गर्भवती को प्रसव के लिए अस्पताल ले जाना पड़ता है। पपानी के बीच प्रसूता को लेकर सड़क तक पहुंचना पड़ता है. फिर वहां से एंबुलेंस या निजी वाहन के माध्यम से अस्पताल तक प्रसूता को पहुँचाया जाता है. उन्होंने बताया अभी दरियापुर अस्पताल जाना वाला रास्ता पूरी तरह से डूब गया। इसलिए दरिहारा अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रसव के लिए जाना पड़ रहा है। पानी के बीच सड़क तक ले जाने में कई तरह के खतरों का डर बना रहता है। लेकिन इन तमाम मुश्किलों के बाद भी वह संस्थागत प्रसव पर ही जोर देती है ताकि जच्चा एवं बच्चा स्वस्थ रहें।

कोरोना के प्रति लोगों को कर रही जागरूक

इस दोहरी चुनौती के बीच भी स्वास्थ्यकर्मी दिन-रात लोगों को जागरूक करने तथा संक्रमण का फैलाव रोकने में लगे हुए हैं। बेबी देवी भी विषम परिस्थितियों में भी अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ रही हैं। कोरोना काल की शुरुआत से ही वह लोगों को कोरोना रोकथाम के उपायों पर जागरूक कर रही है. साथ ही वह गृह भ्रमण के दौरान लोगों को अन्य स्वास्थ्य सेवाओं की जानकारी देने के साथ कोरोना से बचाव की भी जानकारी देती है. वह कहती हैं, लोगों को हाथों की सफाई का सही तरीका बताना एक अहम कार्य है। गाँवों में हाथों की सफाई को लेकर पहले इतनी गंभीरता लोगों में नहीं थी. लेकिन कोरोना के कारण गाँव के लोग हाथों की सफाई के प्रति जागरूक भी हुए हैं एवं उनकी सलाह को भी गौर से सुनने लगे हैं.

खुद का घर बाढ़ में डूब गया, फिर भी कर्तव्यों से पीछे नहीं हटी

आशा कार्यकर्ता बेबी देवी का घर इस बाढ़ में डूब गया है। उनका पूरा परिवार फिलहाल छत पर रहने को मजबूर है। लेकिन सबके बावजूद भी वह अपने कर्तव्यों से पीछे नहीं हटी और कमर भर पानी से होकर क्षेत्र में जाती है। इस कार्य में उनका पति भी सहयोग करते हैं। उनके पति साइकिल पर बैठाकर आशा कार्यकर्ता को क्षेत्र में ले जाते हैं। आशा बेबी देवी कहती है ‘‘पानी का बहाव देखकर मन में डर भी होता है। लेकिन इन सबके बीच अपना कर्तव्य से पीछे तो नहीं हट सकते। अभी का दौर मुश्किलों से भरा है. लेकिन स्वास्थ्य पदाधिकारियों का निरंतर प्रोत्साहन मिलता रहता है जिससे मैं मुश्किल हालातों में भी अपनी सेवा लोगों को दे पाती हूँ’’.