छपरा: कालाजार उन्मूलन के लिए सारण में असेस ट्रांसमिशन डायनामिक रिसर्च शुरू

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  • दरियापुर प्रखंड में कैंप लगाकर लिया गया ब्लड सैंपल
  • छोटका बनिया गांव के सभी लोगों का होगा सैंपल जांच
  • केयर इंडिया एम्स पटना के सहयोग से शुरू हुआ रिसर्च कार्य

छपरा: जिले को कालाजार मुक्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से लगातार प्रयास किया जा रहा है। कालाजार उन्मूलन की दिशा में विभाग के द्वारा एक नई पहल की शुरुआत की गई है। सारण जिले के दरियापुर प्रखंड के सबसे प्रभावित गांव छोटका बनिया गांव में रिसर्च का कार्य शुरू किया गया है। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा केयर इंडिया के सहयोग से छोटका बनिया गांव में असेस ट्रांसमिशन डायनामिक रिसर्च शुरू किया गया है । जिसके तहत लोगों का ब्लड सैंपल कलेक्शन किया जा रहा है। जिला मलेरिया पदाधिकारी डॉ दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि छोटका बनिया गांव में करीब 10 दिनों तक कैंप लगाकर प्रत्येक लोगों का ब्लड सैंपल लिया जाएगा। कैंप में पटना एम्स के लैब टेक्नीशियन तथा केयर इंडिया के प्रतिनिधियों के द्वारा सैंपल कलेक्शन किया जा रहा है। डॉ दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि छोटका बनिया गांव जिले में कालाजार से सबसे अधिक प्रभावित है। यह रिसर्च जिले को कालाजार से मुक्ति दिलाने में सहायक साबित होगा।

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126 घरों के प्रत्येक सदस्यों का होगा सैंपल जांच:

केयर इंडिया के डीपीओ आदित्य कुमार ने बताया कि छोटका बनिया गांव में 126 घर है। प्रत्येक घर के सभी सदस्यों का ब्लड सैंपल लिया जाएगा और उसे जांच के लिए पटना एम्स में भेजा जाएगा। इसके साथ ही साथ सभी लोगों का आरके-39 जांच किट से कालाजार की जांच की जाएगी तथा कालाजार के लक्षण पाए जाने पर उन्हें बेहतर उपचार के लिए स्वास्थ्य संस्थानों पर भेजा जाएगा। उन्होंने बताया कि इस कैंप में केयर इंडिया के प्रतिनिधियों के द्वारा सहयोग किया जा रहा है। इसके साथ ही डोर टू डोर जाकर ब्लड सेंपल लिया जाएगा। जिसमें के केयर इंडिया के प्रतिनिधि सहयोग करेंगे। यह रिसर्च अभियान करीब 10 दिनों तक चलेगा।

कोविड-19 प्रोटोकॉल का किया जा रहा है पालन:

जिला मलेरिया पदाधिकारी डॉ दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि ब्लड सैंपल कलेक्शन के दौरान कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करना अनिवार्य है। इसको लेकर संबंधित पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया है और कैम्प के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी किया जा रहा है। इसके साथ ही समुदाय को कोविड-19 से प्रति बचाव के लिए जागरूक भी किया जा रहा है।

जन-जागरूकता व सामूहिक सहभागिता से हारेगा कालाजार:

डीएमओ डॉ दिलीप कुमार सिंह ने कहा कि कालाजार समाज के लिए काली स्याह की तरह है। इस बीमारी को जन-जागरूकता व सामूहिक सहभागिता से ही हराया जा सकता है। कालाजार तीन तरह के होते हैं । जो वीएल कालाजार, वीएल प्लस एचआइवी और पीकेडीएल हैं । बताया कि कालाजार रोग लिशमेनिया डोनी नामक रोगाणु के कारण होता है। जो बालू मक्खी काटने से फैलता है। साथ ही यह रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी प्रवेश कर जाता है। दो सप्ताह से अधिक बुखार व अन्य विपरीत लक्षण शरीर में महसूस होने पर अविलंब जांच कराना अति आवश्यक है।

रोगी को श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में दी जाती है राशि:

कालाजार से पीड़ित रोगी को मुख्यमंत्री कालाजार राहत योजना के तहत श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में पैसे भी दिए जाते हैं। बीमार व्यक्ति को 6600 रुपये राज्य सरकार की ओर से और 500 रुपए केंद्र सरकार की ओर से दिए जाते हैं। यह राशि वीएल (ब्लड रिलेटेड) कालाजार में रोगी को प्रदान की जाती है। वहीं आशा को कालाजार के रोगियों को अस्पताल लाने की दिशा में प्रोत्साहन राशि 100 रुपये प्रति मरीज की दर से भुगतान किया जाता है। कालाजार मरीजों को मुख्यमंत्री कालाजार राहत योजना के तहत भुगतान प्रक्रिया को भी सरल बना दिया गया है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर भर्ती होने वाले मरीजों को वहां के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा राशि का भुगतान किया जाता है।