“टीबी हारेगा, देश जीतेगा” अभियान के तहत आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर करेंगी टीबी मरीजों की पहचान

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  • हाईपरटेंशन, डायबिटीज से ग्रसित व 60 वर्ष से अधिक के व्यक्तियों होगी स्क्रीनिंग
  • 10 साल से कम उम्र के बच्चों की भी होगी टीबी स्क्रीनिंग जांच
  • पूरे एक माह तक चलेगा अभियान
  • चार चरणों में चलेगा राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम

छपरा: टीबी हारेगा-देश जीतेगा अभियान के तहत एक्टिव केस फाइंडिंग कार्यक्रम चलाया जाएगा। इस अभियान के तहत घर-घर जाकर टीबी के एक्टिव मरीजों की खोज की जायेगी। आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर मरीजों की खोज करेंगी। इसको लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने पत्र जारी कर सभी सिविल सर्जन को आवश्यक दिशा-निर्देश दिया है। चार चरणों में अभियान को पूरा किया जायेगा। पूरे जनवरी माह तक टीबी उन्मूलन को लेकर अभियान चलाया जायेगा। जारी पत्र में बताया गया है कि टीबी एक जानलेवा बिमारी है एवं समय से जांच एव उपचार के अभाव में संपर्क में रहने वाले अन्य सदस्यों में भी रोग के फैलने की संभावना रहती है। साथ ही अनियमित एवं अधूरे उपचार के कारण कई रोगियों में ड्रगरेजिस्टेट टीबी हो जाती है। वर्तमान में वैश्विक महामारी कोरोना नियंत्रण कार्य में राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत कार्यरत अधिकांश कर्मियों को सैँपल कलेक्शन जांच में रिपोर्टिंग कार्य में लगाया गया है। वर्ष 2020 में राज्य में टीबी रोगियों का नोटिफिकेशन पिछले वर्ष 2019 की तुलना में 21 प्रतिशत की कमी परिलक्षित है।

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चार चरणों में पूरा होगा अभियान

पहला चरण: 4 से 9 जनवरी तक नैशनल प्रोग्राम फॉर प्रिवेंशन एंड कण्ट्रोल ऑफ़ कैंसर, डायबिटीज, कार्डियोवैस्कुलर डिसीसेस एंड स्ट्रोक एवं अन्य कार्यक्रमों के साथ समन्वय स्थापित कर डायबिटीज, हाईपरटेशन, कार्डियोवैस्कुलर डिजिज, कैंसर पीड़ित व 60 वर्ष से अधिक के व्यक्तियों व 10 साल से कम उम्र के बच्चों की टीबी स्क्रीनिंग की जायेगी। प्राइवेट चिकित्सकों का निक्षय पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन एंव अभियान के दौरान इंडियन मेडिकल एसोसियशन के माध्यम से जागगरूकता फैला जायेगा।

दूसरा चरण: 11 से 16 जनवरी तक उच्च जोखिम युक्त समूह में टीबी मरीजों की खोज की जायेगी। आनाथालय, नारी निकेतन, बाल संरक्षण गृह, वृद्धा आश्रम, कारागृह, सुधार गृह, रैन बसेरा, पोषण पुनर्वास केंद्रों में कार्यक्रम चलाया जाएगा और क्षय रोगियों की स्क्रीनिंग की जाएगी। जांच में टीबी के रोगी पाए जाने पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा उनका इलाज नि:शुल्क किया जाएगा।

तीसरा चरण : इस चरण में 18 से 23 जनवरी तक जिले के निजी चिकित्सकों से संपर्क कर उन्हें टीबी की जानकारी दी जाएगी। प्राइवेट सेक्टर के अंतर्गत उपचाररत टीबी रोगियों का नोटिफिकेशन।

चौथा चरण: 27 से 31 जनवरी तक शहरी दलित-मलिन वस्ती, ईंट भट्टा के मजदूर नव निर्मित कार्यस्थल के मजदूर, ग्रामीण दूरस्थ एवं कठिन क्षेत्र, महादलित टोला एवं अन्य लक्षित समूह में आशा कार्यकर्ता, एएनएम, आंगनबाड़ी सेविका व गैर सरकारी स्वयंसेवी संस्था के कार्यकर्ता मरीजों की खोज करेंगे।

प्रत्येक 50 घर भ्रमण पर आशा को मिलेगा 100 रूपये प्रोत्साहन राशि

राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम अंतर्गत दूरस्थ क्षेत्रों में सघन खोज अभियान के दौरान आशा या सामुदायिक उत्प्रेरक को कम से कम 50 घर भ्रमण करने पर 100 रूपये प्रतिदिन अधिकतम-2 व्यक्तियों को तीन दिनों के लिए प्रोत्साहन राशि दी जायेगी। साथ सघन खोज अभियान के दौरान जांचोपरांत टीबी मरीजों के पंजीकृत करने पर टीबी इंफ्रमेंट के रूप में सामुदायिक उत्प्रेरक को 500 रूपये प्रति मरीज की दर से प्रोत्साहन राशि के रूप में दी जायेगी।

लक्षण हों तो जरूर कराएं जांच

यदि किसी व्यक्ति को दो हफ्तों से ज्यादा की खांसी, खांसी में खून का आना, सीने में दर्द, बुखार, वजन का कम होने की शिकायत हो तो वह तत्काल बलगम की जांच कराए। जांच व उपचार बिल्कुल मुफ्त है। मरीज को इलाज की अवधि तक 500 रुपये प्रतिमाह पोषण राशि दी जाती है।