वैश्विक महामारी के इस संकट की घड़ी में मजबूती के साथ खड़े हैं लोग

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  • कोविड-19 ने लोगों के सोंच को बदला, रहन-सहन में बड़ा बदलाव आया
  • साफ-सफाई और स्वच्छता के प्रति काफी गंभीर हुए लोग
  • सिटिजन जर्नालिस्ट: डॉ. कुमारी नीतू सिंह, सहायक प्रोफेसर, जेपीएम कॉलेज छपरा

छपरा: कोरोना महामारी से निपटने लिए भारत ने दुनिया के सामने अपनी सार्थक सोच को लॉकडाउन के रूप में रखते हुए नई पहचान बनाने में कामयाब हुआ है। साथ ही भविष्य की मजबूत नींव भी रख दी है। तभी तो वर्तमान समय में वैश्विक महामारी के इस संकट की घड़ी में भारत और देशों की अपेक्षा मजबूती के साथ खड़ा दिखाई दे रहा है। इन चुनौतियों के बीच इंसानी जीवन को और अधिक व्यवस्थित करने का काम भी किया है। महामारी को लेकर सरकार की ओर से किया गया लॉकडाउन लोगों के लिए रामबाण की तरह साबित हुआ है। इंसान के आचार-विचार और कार्य व्यवहार से लेकर हर क्षेत्र में अकल्पनीय बदलाव होने की उम्मीद दिखाई दे रही है। कोरोना महामारी संक्रमण से बचते हुए और खुद के अस्तित्व को बचाने के लिए राजनीतिक, सामाजिक, प्रबुद्ध नागरिकों, विभिन्न संगठनों आदि ने जात-पात से उपर उठकर इंसानी जीवन को महत्व देते हुए सामूहिक रूप से मिलकर प्रयास किया है।

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ताकि इंसानों का अस्तित्व बचाया जा सके। कहा जाता है कि बदलाव प्रकृति का नियम है एवं यह बेहतरी के लिए ही होता है। तो बेहतरी को अपनाने में भला देर क्यों लगाया जाए। कोरोना हारेगा और जरूर हारेगा। इसी सोच के साथ स्वच्छता के प्रति लोग जागरूक हो रहे है। इससे बीमारियां भी कम होने की संभावना रहेगी। लोग कोरोना वायरस संक्रमण काल में हुए लॉकडाउन में अपनी सोच को बदला है। साफ-सफाई और स्वच्छता के प्रति काफी गंभीर हो गए है। हर वर्ग बच्चे, बुजूर्ग, युवा हर वर्ग अपनी सोच में स्वच्छता को महत्व दे चुके है। इस बदलाव ने साफ कर दिया है कि चुनौतियाँ कैसी भी हो उसका कोई न कोई समाधान जरुर होता है। तभी तो लॉकडाउन के दौरान घरों में रह रहे लोगों ने हर घंटे हाथ धोना, शारीरिक दूरी, साफ-सफाई पर पूरा ध्यान दिया। इसका फायदा भी उन्हें दिखा। वातावरण में शुद्ध हवाएं, ट्रॉफिक से बढ़ा प्रदूषण, अन्य स्त्रोतों से होने वाला प्रदूषण, पेड़, पौधों की हरियाली आदि का आनंद ले चुके है। ऐसे में स्वच्छता लोगों के दिल, दिमाग पर सर्वोपरि स्थान बना चुकी है।

कोविड-19 ने लोगों के सोंच को बदला

कोविड-19 ने लोगों की सोच को बदलने का काम किया है। लोगों के रहन-सहन में बड़ा बदलाव आया है। इस संक्रमण काल में साफ-सफाई और स्वच्छता ने लोगों के दिलों-दिमाग पर घर कर गया है। ऐसे में उम्मीद यही की जा सकती है कि स्वच्छता के प्रति लोगों की सोच में आयी यह बदलाव आगे भी जारी रहे. इतिहास गवाह है कि जब भी महामारी आई हैं विनाश के साथ उम्मीद की लंबी लकीर भी खिंच गई है। ऐसे में कोरोना वायरस संक्रमण ने लोगों की सोच में बदलाव लाया है। स्वच्छता के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ी है। इससे बीमारियां भी कम होगी। बेहतर भविष्य को देखा जा सकता है। कोरोना वायरस संक्रमण के कारण काफी बदलाव आने वाले हैं। इंसान की सोच बदल गई है। स्वच्छता के प्रति लोग ज्यादा गंभीर हो गए हैं। पहले इस मामले को लोग गंभीरता से नहीं लेकर काफी उदासीन रहते थे। कोरोना वायरस ने लोगों को अब संजीदगी से सोचने पर मजबूर कर दिया है। लोग अब स्वच्छता को सर्वोपरि मान रहे है।

यह बदलाव जीवन के लिए महत्वपूर्ण

कोविड-19 से लोगों की आदत में बदलाव आया है । यह बदलाव जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। अब इंसान को इसे अपनी आदत में शुमार करना होगा। कोरोना एक वायरल बीमारी है। रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएं। दूषित पानी से, दूषित खाना, एयर बोर्न, सांस से संबंधित संक्रमित बीमारी एवं संक्रमित पानी से होने वाली बीमारी से स्वच्छ रहने से बचा जा सकता है। कोविड 19 से एक लंबी लड़ाई अभी लड़नी हैं। इसके साथ रहने की आदत डालनी होगी। साबुन से हाथ धोना, सैनिटाइजर, मास्क, शारीरिक दूरी को तवज्जो देना होगा।